Uttarakhand Political Story: उधम सिंह नगर जिले के खटीमा विधानसभा क्षेत्र से दो बार के भाजपा विधायक पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. राजभवन में आयोजित एक समारोह में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई थी. धामी राज्य के 11वें मुख्यमंत्री बने हैं. 45 वर्षीय धामी उत्तराखंड के अब तक के सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं.


बदलते रहे हैं सीएम
उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. बीते साढ़ें चार सालों में भाजपा ने तीसरी बार मुख्यमंत्री का चेहरा बदला है. उत्तराखंड में सीएम बदलने की परंपरा नई नहीं है. तो चलिए आपको बताते हैं कि अब तक उत्तराखंड में किस सियासी दल ने कब-कब मुख्यमंत्री का चेहरे को बदला और जनता के बीच इसका क्या संदेश गया.


उत्तराखंड में सीएम बदलने की रही परंपरा  
उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदलने की परंपरा राज्य गठन के बाद से ही चली आ रही है. साल 2000 में राज्य गठन के दौरान ही भाजपा ने अंतरिम सरकार में ही अपना मुख्यमंत्री बदल दिया था. तब नित्यनन्द स्वामी को हटाकर भगत सिंह कोश्यारी को कमान दी गई थी, लेकिन 2002 में भाजपा ने सत्ता गंवा दी थी.


2002 से 2007 तक रही स्थिर सरकार 
2002 से 2007 तक कांग्रेस की पहली सरकार रही जब एनडी तिवारी ने 5 साल तक स्थित सरकार चलाई. एनडी तिवारी पहले ऐसे सीएम रहे जो पांच साल तक कुर्सी पर बने रहे. हालांकि, तिवारी को भी उस दौरान अपने राजनितिक विरोधियों का समाना करना पड़ा. लेकिन, तिवारी 5 साल तक कुर्सी पर टिके रहे. आज भी एनडी तिवारी की तरफ से किए गए कामों की सराहना होती है बावजूद इसके 2007 में कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब नहीं रही.


2007 और 2012 के बाद फिर बदले सीएम 
2007 में भाजपा सत्ता में आ गई लेकिन सीएम बदलने का खेल 2007 में भी खेला गया. तब बीसी खंडूरी को हटाकर रमेश पोखरियाल निशंक को सत्ता दी गई और फिर रमेश पोखरियाल निशंक को हटाकर खंडूरी को मुख्यमंत्री बनाया गया. लेकिन, 2012 में भाजपा को जनता ने सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया, लेकिन उत्तराखंड में सीएम बदलने का खेल बदस्तूर जारी रहा. 2012 में कांग्रेस के आने के बाद फिर विजय बहुगुणा और हरीश रावत में कुर्सी को लेकर घमासान मचा रहा और कांग्रेस ने भी विजय बहुगुणा को हटाकर हरीश रावत को कमान दी. 


भाजपा का रहा रिकॉर्ड
प्रदेश में मुख्यमंत्री बदलने का रिकॉर्ड भाजपा के पाले में गया क्योंकि भाजपा ने अपने कार्यकाल के दौरान तीन-तीन बार मुख्यमंत्री बदले. 2017 में भाजपा को 57 विधायकों के साथ जनता ने सरकार बनाने का मौका दिया लेकिन इस बार भी भाजपा स्थिर सरकार देने से चूक गई और तीन बार मुख्यमंत्री बदल दिए. हालांकि, इस बार कमान युवा चेहरे के हाथ में है और 2022 में देखना भी दिलचस्प होगा कि युवा चेहरे के तौर पर पुष्कर सिंह धामी कितना कमाल कर पाते हैं.


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