Uttarakhand News: उत्तराखंड ने इस साल बिजली की बड़ी किल्लत झेली. मानसून आने के बाद इस संकट के दूर होने की उम्मीद थी, लेकिन नदियों में आने वाले सिल्ट (गाद, मिट्टी, कंकड़) के चलते परियोजनाओं को कुछ समय के लिए बंद करना पड़ रहा है. यही वजह है कि हर दिन अभी भी 5 से 6 मिलियन यूनिट की कमी बनी हुई है.


बाजार से बिजली खरीदने को मजबूर यूपीसीएल
उत्तराखंड में इस साल पड़ी भीषण गर्मी ने यूपीसीएल के हाथ पांव फुला दिए हैं. बिजली संकट को यूजेवीएनएल और यूपीसीएल दूर नहीं कर पाया और हर महीने करोड़ों की बिजली बाजार से खरीदता रहा. जिससे प्रदेश की आर्थिकी पर बड़ा बोझ पड़ा है. हालांकि मानसून आते ही प्रदेश में बिजली की कमी से कुछ राहत मिली, लेकिन राज्य में बिजली का संकट बरकरार है. आंकड़े बताते हैं कि अभी प्रदेश में उत्पादन के लिहाज से डिमांड में बेहद ज्यादा अंतर है और बरसात आने के बावजूद भी राज्य में डिमांड कम नहीं हुई. इसकी सबसे बड़ी वजह भारी बारिश से नदियों में आने वाला सिल्ट है, जिसकी वजह से परियोजनाओं को कुछ समय के लिए बंद करना पड़ रहा है. 


18 परियोजनाएं चल रही हैं
उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संदीप सिंघल ने बताया कि हमारी सारी 18 परियोजनाएं चल रही हैं और 13 जुलाई 2022 तक हमने 1693 मिलियन यूनिट्स का जनरेशन किया है. पिछले वर्ष 13 जुलाई 2021 से तुलना की जाए तो पिछली बार 1402 मिलियन यूनिट्स का जनरेशन था, यानी पिछले साल के मुकाबले करीब 290 मिलियन का जनरेशन ज्यादा किया है. इसी समय में 1 अप्रैल से लेकर 13 जुलाई तक बहुत अच्छा जनरेशन हमारे निगम द्वारा किया जा रहा है.


मानसून में सिल्ट आने से रुका काम

प्रबंध निदेशक ने बताया कि जब मॉनसून आता है तो डिस्चार्ज बढ़ता है नदियों में जनरेशन बढ़ता है लेकिन जब बाढ़ आती है तो सिल्ट भी बढ़ता है. जब सिल्ट की मात्रा बहुत बढ़ जाती है तो 3 हजार पार्ट पर मिलियन से जब ज्यादा वैल्यू हो जाती है. उस समय पॉवर हाउसेस में हमें उन मशीनों को बंद करना पड़ता है वो इसलिए करना होता कि जो पानी के अंदर सिल्ट कनटेंट है जो कि एक तरह की मिट्टी या कंकड़ है. वो एक रनिंग टर्बाइन के ऊपर टकराएंगी पानी के साथ तो वो ब्लेड को तोड़ भी सकती है. वो डैमेज ज्यादा बड़ा होगा उसकी वजह से जनरेशन लॉस ज्यादा होगा. इसलिए उससे बचने के लिए मशीनों को बंद किया जाता है. जैसे पीपीएम की मात्रा 3 हजार से कम होती है तो मशीनों को तुरंत चला दिया जाता है, 

 

हर दिन 2 करोड़ की बिजली खरीद रहा है यूपीसीएल
उत्तराखंड में करीब 50 से 51 मिलियन यूनिट बिजली की प्रतिदिन डिमांड होती है. लेकिन यूजेवीएनएल सिर्फ 20 मिलियन यूनिट का उत्पादन करता है. ऐसे में सेंटर से राज्य को करीब 24 MU बिजली मिल रही है. करीब 5 से 6 मिलियन यूनिट की हर दिन कमी हो रहा है. यूपीसीएल बाजार से हर दिन 5 से 6 एमयू यानी करीब दो करोड़ की बिजली हर दिन खरीद रहा है. 

 

राज्य में उत्तराखंड जल विद्युत निगम 18 परियोजनाएं संचालित कर रहा है. मानसून के दौरान फिलहाल कई बार सिल्ट (मलबा) आने से घंटों या फिर पूरे दिन कई परियोजनाओं को बंद करना पड़ रहा है. क्योंकि गाद आने से परियोजनाएं बंद नहीं की गई तो मशीनों को बड़ा नुकसान होता है और ऐसे में बड़ा जनरेशन लॉस हो सकता है. यूपीसीएल के अधिकारी बताते हैं कि सिल्ट की वजह से हाइड्रो प्लांट बंद होने से दो सौ से तीन सौ मेगा वॉट तक का जनरेशन कम हो जाता है. 

 

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