Uttarakhand: प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद चर्चा में आया 'मनहूस बंगला', जो भी रहा उसी की चली गई कुर्सी
Premchand Aggarwal Bungalow: उत्तराखंड में प्रेम चंद्र अग्रवाल के कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा देने का बाद उनके सरकारी आवास को लेकर चर्चा शुरू हो गई हैं. कई लोग तो इसे 'मनहूस बंगला' कहने लगे हैं.

Premchand Aggarwal Resignation: उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले प्रेम चंद्र अग्रवाल के बाद अब उनके सरकारी आवास यमुना कॉलोनी स्थित R-2 बंगला चर्चाओं में आ गया है. इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज हैं. कहा जा रहा है कि यह बंगला वास्तु दोष से ग्रस्त है और इसमें रहने वाला कोई भी मंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाता. प्रेम चंद्र अग्रवाल से पहले भी इस बंगले में रहे कई दिग्गज नेता अपना कार्यकाल पूरा किए बिना ही पद से हटते रहे हैं.
प्रेमचंद अग्रवाल का सरकारी आवास R-2 बंगला पहले कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत को आवंटित था. जब वह नेता प्रतिपक्ष के रूप में यहां रहे, तब भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. इसके बाद जब वह कांग्रेस सरकार में मंत्री बने और इसी बंगले में रहे तो राजनीतिक बगावत के चलते उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़. बाद में वह भाजपा में शामिल होकर फिर से मंत्री बने और इस बंगले में रहने लगे. लेकिन उनका कार्यकाल समाप्त होने से पहले ही उन्होंने भाजपा छोड़ दी और मंत्री पद से हट गए.
'मनहूस बंगले' की वजह से गई कुर्सी
अब प्रेम चंद्र अग्रवाल का मामला भी इसी बंगले से जुड़ गया है. उन्होंने हाल ही में प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा दिया है. इससे एक बार फिर इस बंगले को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं. राजनीतिक गलियारों में इसे 'मनहूस बंगला' कहा जाने लगा है, जहां रहने वाले मंत्री का कार्यकाल कभी पूरा नहीं हो पाता.
आचार्य संतोष खंडूड़ी ने इस बंगले को लेकर एबीपी लाइव से बातचीत में कहा कि बंगले में गंभीर वास्तु दोष हैं, जिनकी वजह से इसमें रहने वाला कोई भी व्यक्ति अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाता. उन्होंने बताया कि बंगले का मुख्य द्वार और आंतरिक संरचना वास्तु शास्त्र के अनुसार अशुभ स्थिति में है. जिससे नकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है. आचार्य ने कहा, "जब तक बंगले में वास्तु दोष को दूर नहीं किया जाएगा, तब तक कोई भी मंत्री यहां चैन से नहीं रह पाएगा और कार्यकाल पूरा करने से पहले ही पद से हटना पड़ेगा.
सियासी जानकारी इसे लेकर अलग तरह की बातें करते हैं. उनका कहना है कि वास्तु दोष पर भरोसा करना या न करना व्यक्ति विशेष की धारणा है. लेकिन यह संयोग है कि इस बंगले में रहने वाले नेता किसी न किसी वजह से अपना पद छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं, प्रेम चंद्र अग्रवाल के इस्तीफे के बाद अब यह बंगला एक बार फिर राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है.
कई नेताओं ने इसके वास्तु दोष को देखते हुए इसमें रहने से परहेज करना शुरू कर दिया है. चाहे ये संयोग हो या वास्तु दोष लेकिन, यह बंगला एक के बाद एक मंत्री के कार्यकाल का काल साबित हो रहा है. अब देखने वाली बात यह होगी कि आने वाले समय में इस बंगले का भविष्य क्या होगा.
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