Uttarakhand: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान किया तो आंदोलन कर रहे किसानों में खुशी का माहौल है. विपक्ष इसे किसानों की जीत बता रहा है तो साथ ही सरकार को घेरने की पूरी कोशिश कर रहा है. वहीं उत्तराखंड में तो किसान इस फैसले से खुश हैं ही इसके अलावा तीर्थ पुरोहितों ने भी अपने आंदोलन को तेज कर दिया है. दरअसल काफी वक्त से तीर्थ पुरोहित उत्तराखंड में बनाए गए देवस्थानम बोर्ड के गठन का विरोध कर रहे हैं और लगातार इसे भंग करने की मांग की जा रही है. कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के फैसले के बाद अब तीर्थ पुरोहितों ने सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि जल्द ही देवस्थानम बोर्ड को भी भंग करने का फैसला लिया जा सकता है.
देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग
अपने आंदोलन को लेकर चारधाम महापंचायत के प्रवक्ता ब्रजेश सती ने जानकारी दी कि उत्तराखंड में देवस्थानम बोर्ड को लेकर लंबे समय से आंदोलन पर रहे तीर्थ पुरोहित एक बार फिर आंदोलन की राह पर जा सकते हैं. इसके लिए 22 नवंबर को देहरादून में बैठकर रणनीति बनाई जाएगी. अगर सरकार ने जल्द ही देवस्थानम बोर्ड को भंग नहीं किया तो ये आंदोलन उग्र रूप ले सकता है. हालांकि तीर्थ पुरोहित मांग कर रहे हैं कि उत्तराखंड सरकार केंद्र की तर्ज पर देवस्थानम बोर्ड को तत्काल भंग करे.
सरकार जल्द लेगी फैसला
उधर इसे लेकर उत्तराखंड सरकार में मंत्री हरक सिंह रावत का कहना है कि सरकार इसके लिए रास्ता निकाल रही है. जल्द ही सभी के हितों को ध्यान में रखकर फैसला लिया जाएगा. दूसरी तरफ नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि तीर्थ पुरोहितों के हितों के लिए देवस्थानम बोर्ड को सरकार तत्काल भंग करें. इस बोर्ड को तीर्थ पुरोहितों का हक छीनते हुए थोपा गया है.
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