Uttarakhand Bypoll: मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी चंपावत से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. विधायक कैलाश गहतोड़ी ने धामी के लिए ये सीट छोड़ दी है, उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. चंपावत से विधायक का इस्तीफा सौंपने के बाद गहतोड़ी ने कहा कि 'मैंने इस्तीफा किसी स्वार्थ में नहीं दिया है, बल्कि इसलिए दिया है क्योंकि सीएम के यहां से विधायक बनने से क्षेत्र का बेहतर विकास हो सकेगा. अब सीएम धामी के कदम पड़ेंगे तो यहां विकास संभव हो पाएगा. धामी खटीमा से चुनाव हार गए थे ऐसे में नियमानुसार उन्हें 6 महीने के भीतर विधानसभा की सदस्यता लेनी जरूरी होगी.


धामी के लिए खाली हुई चंपावत सीट


धामी के लिए चंपावत सीट खाली होने के बाद सरकार में मंत्री भी अब उनकी जीत का दम भरने लगे हैं. उनका कहना है कि सीएम धामी यहां से एतिहासिक जीत दर्ज करेंगे. चंपावत बीजेपी का मजबूत गढ़ माना जा सकता है. विधानसभा चुनाव 2022 में चंपावत में 50.26 फीसदी वोट पड़े थे. जिसमें बीजेपी के कैलाश गहतोड़ी ने कांग्रेस के हेमेश खार्कवाल को 5304 वोटों से हराया था. कैलाश गहतोड़ी को 32547 वोट पड़े जबकि कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल को 27243 वोट मिले. चंपावतचम्पावत सीट खटीमा विधानसभा सीट से सटी हुई है. जिसका 40 फीसदी हिस्सा पर्वतीय क्षेत्र में आता है और 60 फीसदी मैदानी क्षेत्र है 


कैलाश गहतोड़ी ने दिया इस्तीफा


चंपावत से विधायक चुने गए कैलाश गहतोड़ी ने पुष्कर सिंह धामी के लिए पहले ही सीट छोड़ने का संकेत दिया था. हालांकि तकरीबन 7-8 और विधायकों ने भी धामी के लिए सीट छोड़ने की इच्छा जाहिर की थी वहीं कांग्रेस के विधायक हरीश धामी भी सीट छोड़ने को तैयार थे,लेकिन धामी की खटीमा से हार के बाद संगठन और खुद सीएम खुद के लिए मुफीद सीट की तलाश में थे. जो उन्हें चंपावत नजर आई, इस सीट पर मंथन के बाद सीएम धामी ने भी केंद्रीय नेतृत्व को अपनी रिपोर्ट दे दी थी. केंद्रीय नेतृत्व की हामी के बाद कैलाश गहतोड़ी ने सीट छोड़ दी. अब सीएम धामी यहां जोर शोर से तैयारी में जुट गए हैं, जिसकी शुरुआत उन्होंने गोरखनाथ मंदिर से पूजा करके कर दी है. 


कांग्रेस के सामने ये चुनौती


सीएम धामी का चंपावत से चुनाव लड़ना तय हो गया है. ऐसे में कांग्रेस पर उनके खिलाफ दमदार प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारने का भी दबाव होगा. हालांकि उनके पास इस सीट पर कांग्रेस के पूर्व विधायक हेमेश खर्कवाल, पूर्व राज्यसभा सांसद महेंद्र सिंह माहरा, कांग्रेस नेत्री विमला सजवाण जैसे विकल्प मौजूद हैं, लेकिन सीएम के सामने कांग्रेस के मजबूत उम्मीदवार उतरना होगा. 


पहले भी सीएम के लिए खाली हुई हैं सीट


परंपरा राज्य गठन के बाद से रही है. सबसे पहले 2002 में एनडी तिवारी के लिए रामनगर से योगम्बर रावत ने सीट खाली की थी, उसके बाद 2007 में मुख्यमंत्री बने भुवन चंद खंडूरी के लिए धुमाकोट सीट, टीपीएस रावत ने सीट छोड़ी थी. 2012 में कांग्रेस सरकार के दौरान विजय बहुगुणा के लिए बीजेपी के किरण मंडल ने सितारगंज  सीट खाली की थी. 2014 में विजय बहुगुणा को हटाकर मुख्यमंत्री बने हरीश रावत के लिए कांग्रेस के ही हरीश धामी ने धारचूला की सीट खाली की थी और अब पुष्कर सिंह धामी के लिए चंपावत से विधायक कैलाश गहतोड़ी  ने सीट खाली की है.


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