उत्तराखंड: रंज-ओ-ग़म के दौर में टिहरी महोत्सव पर उठे सवाल
16 फरवरी को टिहरी महोत्सव का आयोजन होना एक विवाद पैदा कर गया. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि आपदा के समय महोत्सव का आयोजन कराना पीड़ितों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है.
देहरादून: चमोली में भीषण आपदा के बाद टनल और अन्य स्थानों पर मलबे में फंसी जिंदगियों को बचाने की जद्दोजहद के बीच टिहरी महोत्सव का आयोजन किसी के गले नहीं उतरा. एक तरफ आपदा से पूरे गढ़वाल में मातमी माहौल है और दूसरी तरफ टिहरी में महोत्सव का आयोजन सरकार की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर रहा है. विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर राज्य की त्रिवेंद्र सरकार की घोर आलोचना की है.
विगत सात फरवरी को चमोली जिले के सीमांत इलाके जोशीमठ, तपोवन, रैणी गांव में प्राकृतिक आपदा ने भारी तबाही मचाई. दरअसल रैणी गांव के ऊपर ऋषिगंगा नदी के बहाव के विपरीत कई किलोमीटर ऊपर की तरफ ग्लेशियर टूटने के बाद यह तांडव हुआ. उसके बाद रैणी गांव में बना ऋषिगंगा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पूरी तरह से वाशआउट हो गया. रैणी गांव से आगे तपोवन में बन रहे विष्णुगाड तपोवन हाइड्रो प्रोजेक्ट की टनल में मलबा भरने जान माल की भारी क्षति हुई.
सरकार की संवेदनशीलता पर सवाल
इसी रंज-ओ-ग़म के दौर में 16 फरवरी को टिहरी महोत्सव का आयोजन होना एक विवाद पैदा कर गया. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस आयोजन का उद्घाटन किया. खास बात यह है कि टिहरी महोत्सव पर्यटन विभाग के अंतर्गत आता है, लेकिन पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज देहरादून में होते हुए भी इस कार्यक्रम में नहीं गए. उन्होंने इस मामले में खुले तौर पर तो कुछ नहीं बोला लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की फेसबुक पोस्ट पर जो दिखाया गया है उससे बवाल मचा हुआ है. पोस्ट में हरीश ने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र टिहरी में महोत्सव का उद्घाटन कर रहे है और एक तरफ सतपाल महाराज ने त्रासदी में मारे दिवंगतो को समर्पित कर दिया.
उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री ने गैर जरुरी काम किया है और आपदा के समय महोत्सव का आयोजन कराना पीड़ितों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है. नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदेश ने कहा कि ये सरकार संवेदनहीन हो गयी है, इस सरकार के लिए आपदा के शिकार हुए और आपदा का दंश झेल रहे लोगो का दुःख मायने नहीं रखता, इनकी दिलचस्पी महोत्सव के आयोजन में है. आम आदमी पार्टी के नेता रविंद्र जुगरान ने भी इस समय इस आयोजन को गैरजरूरी बताते हुए कहा कि पहले आपदा प्रभावितों को राहत देने का काम होना चाहिए था, एक तरफ बड़ी संख्या में लोगो का मरना और एक तरफ महोत्सव होना सरकार की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े करता है.
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