Uttarakhand News: उत्तराखंड के कोटद्वार (Kotdwar) में देर रात से हो रही बारिश (Rain) की वजह से एक बार फिर से लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. पानी मे अपना रौद्र रूप दिखाकर तांडव मचाना शुरू कर दिया है. देखते ही देखते नाले में बह रहे पानी ने रौद्र रूप ले लिया, लोग कुछ समझ पाते उससे पहले पानी लोगों के घरों में घुसने लगा. बारिश की आफत कोटद्वार में इस कदर देखी जा सकती है कि लोग अपनी और परिवार की जान बचाने को अपने घरों से बाहर रहने को मजबूर हैं.


रात भर बारिश इतनी भयानक थी कि चंद घंटों में पानी लोगों के घरों में घुस गया. देखकर समझ नहीं आ रहा है. कुछ लोगों के घरों के हालात तो इतने बद से बदतर हो गए कि उनके घरों में कुछ भी सुरक्षित नहीं रहा. साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग 534 से आर्मी का गबरसिंग कैंप को जोड़ने वाला पुल भी क्षतिग्रस्त हो गया. पहाड़ी क्षेत्रों में पिछले 12 घंटों से मूसलाधार बारिश जारी है. सावन माह में पहाड़ में मूसलाधार बारिश से तराई क्षेत्रो में नदियां उफान पर हैं.


मालन नदी और खोह नदी उफान पर


कोटद्वार में पड़ने वाली मालन नदी और खोह नदी उफान पर बह रही है. वहीं कोटद्वार नगर निगम क्षेत्र के रिहायशी इलाकों में बहने वाले पनियाली गदेरा और गिवई स्रोत खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. इससे कोड़िया इलाके में पनियाली गदेरा का पानी आने से घरों में जलभराव की समस्या हो गई है. देर रात से लगातार हो रही बारिश के कारण पानी लोगो के घरों में इतना घुसा की घरों में रखा खाने-पीने और इलोक्ट्रॉनिक सामान खराब हो गया है.


मलबा निकालने में जुटे लोग


घरों में पानी और मलबा लगभग 4-5 फिट जमा हो गया. सुबह पानी कम होने के बाद से लोग अपने घरों से मलबा निकालने पर लगे हुए हैं. इससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कोटद्वार के इस बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में लगभग 600-700 परिवार रहते हैं, जिसमें से लगभग 150 परिवार इस बरसाती नाले के पानी से प्रभावित हुए हैं. इस समय लोगों का जीना मुश्किल हो गया है.


2017 से पानी की आपदा को झेल रहे लोग


इससे पहले 2017 में आई आपदा में कोड़िया इलाके में करंट लगने से 3 लोगों की मौत हुई थी लेकिन फिर जनप्रतिनिधि और स्थानीय प्रशासन इनकी कोई सूद नहीं ले रहा है. इस दौरान स्थानीय लोगों ने कहा कि 2017 से इस इलाके के लोग इस पानी की आपदा को झेल रहे हैं. इसके बावजूद भी स्थानीय प्रशासन आता है और देखकर चला जाता है लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है जबकि हमारे घरों में रखा खाने-पीने, पहनने, सोने ओर अन्य सारे सामान बेकार हो गए हैं. इसके बावजूद भी प्रशासन हमारी सुध लेने को तैयार नहीं है.


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