आज आधी रात से थम जाएंगे उत्तराखंड रोडवेज बसों के पहिए, जानें वजह
उत्तराखंड रोडवेज बसों के पहिए आज रात से थमने जा रहे हैं. रोडवेज कर्मयारियों ने मांगें ना माने जाने से कार्य बहिष्कार करने का फैसला लिया है.
देहरादून. उत्तराखंड में रोडवेज के पहिए एक बार फिर थमने जा रहे हैं. इसकी वजह है रोडवेज कर्मचारियों की नाराजगी. दरअसल, मांगें ना माने जाने से नाराज परिवहन निगम के कर्मियों ने कार्य बहिष्कार पर जाने का निर्णय लिया है. कर्मियों की मांग है कि उनकी समस्याओं का स्थाई समाधान निकाला जाए.
दरअसल, शुरुआत से ही घाटे में चल रहे उत्तराखंड परिवहन निगम में कर्मचारियों का वेतन ना मिलने से कर्मचारियों में खासी नाराजगी है. आज हुई कैबिनेट बैठक में परिवहन निगम के कर्मचारियों के लिए कोई फैसला ना लेने से अब 14 जुलाई की मध्यरात्रि से रोडवेज कर्मचारी परिषद और 15 जुलाई मध्य रात्रि से उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने कार्य बहिष्कार का ऐलान कर दिया है. ऐसे में 16 जुलाई की सुबह से पूरे प्रदेश में बसों के पहिए पूरी तरह से थम जायेंगे.
आधे वेतन दिये जाने की सहमति से नाराज
उत्तराखंड परिवहन निगम में कर्मचारियों को पिछले 5 महीने से वेतन नहीं मिला है. परिवहन निगम निदेशक मंडल की बैठक में समस्त कार्मिकों को आधा वेतन दिये जाने के प्रस्ताव पर सहमति बनने के बाद कर्मियों ने अपनी नाराजगी जताई है. परिवहन निगम के कर्मियों की मांगें हैं- पूरा वेतन, संविदा कर्मियों का नियमितीकरण, परिवहन निगम की समस्याओं का स्थाई समाधान.
यात्रियों को होगी परेशानीा
कोरोनाकाल के बाद से राज्य के बाहर बसों का संचालन दो महीने बाद शुरू हुआ, लेकिन फिर से कार्य बहिष्कार के ऐलान के बाद बसों के पहिए थम जायेंगे. ऐसे में यात्रियों के लिए फिर से दिक्कत शुरू होने जा रही है. एक ओर परिवहन निगम घाटे में है वहीं कर्मचारियों के बार-बार चक्काजाम जैसे ऐलान से निगम को और घाटा होता चला जा रहा है.
परिवहन निगम में यूनियन बाजी हावी
आज आधी रात से रोडवेज कर्मचारी परिषद और 15 जुलाई मध्य रात्रि से उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन हड़ताल पर जा रहे हैं. पहले भी कई बार एकजुटता कर्मचारियों में देखने को नहीं मिली है. इसकी एक बड़ी वजह है कि उनकी मांगों पर कोई सहमति नहीं बन पाती है. इस समय परिवहन निगम में अलग-अलग यूनियन बनी हुई हैं. इन यूनियन की अपनी अलग-अलग मांगे भी हैं और कार्य बहिष्कार पर जाने का समय भी अलग-अलग. ऐसे में यूनियन बाजी हावी होने के कारण उनकी मांगों पर सरकार भी एक सहमति नहीं बना पाती है.
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