Uttarakhand News: उत्तराखंड में स्थित पंचकेदारों में प्रतिष्ठित, द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर मंदिर के कपाट आज सुबह(20 नवंबर) को शुभ मुहूर्त में विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए. इस अवसर पर मंदिर को फूलों से भव्य रूप से सजाया गया था. भगवान मद्महेश्वर जी की उत्सव डोली देव निशानों और स्थानीय वाद्य यंत्रों की गूंज के बीच श्रद्धालुओं की उपस्थिति में प्रथम पड़ाव गौंडार के लिए प्रस्थान कर गई.
कपाट बंद होने के इस पावन अवसर पर ढाई सौ से अधिक श्रद्धालु उपस्थित रहे. प्रातःकालीन पूजा-अर्चना और दर्शन के बाद मंदिर गर्भगृह में कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू की गई. पुजारी टी. गंगाधर लिंग ने वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी डीएस भुजवाण और रमेश नेगी की उपस्थिति में शुभ मुहूर्त में कपाट बंद किए. भगवान मद्महेश्वर जी के स्वयंभू शिवलिंग को समाधि स्वरूप में ले जाकर पुष्पों, फल-पुष्पों, और अक्षत से ढक दिया गया.
18,000 श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने बताया कि इस वर्ष 18,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर जी के दर्शन किए. बीकेटीसी अध्यक्ष अजेन्द्र अजय और उपाध्यक्ष किशोर पंवार ने श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं देते हुए इस पावन अवसर पर प्रसन्नता व्यक्त की.
चल विग्रह डोली का कार्यक्रम
बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने जानकारी दी कि भगवान मद्महेश्वर जी की उत्सव डोली रात्रि विश्राम के लिए आज गौंडार पहुंचेगी. 21 नवंबर को राकेश्वरी मंदिर में प्रवास और 22 नवंबर को गिरिया में विश्राम करेगी. इसके बाद 23 नवंबर को यह शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ में पहुंचेगी. उखीमठ में शीतकालीन पूजाओं का शुभारंभ होगा.
मद्महेश्वर मेले की तैयारियां
23 नवंबर को भगवान मद्महेश्वर जी की डोली के उखीमठ पहुंचने के साथ ही मद्महेश्वर मेले का आयोजन होगा. प्रभारी अधिकारी यदुवीर पुष्पवान ने बताया कि श्री ओंकारेश्वर मंदिर को फूलों से सजाया जा रहा है. मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है.
कपाट बंद होने से पहले यज्ञ-हवन
कपाट बंद होने से एक दिन पहले मंदिर में विधिपूर्वक यज्ञ-हवन का आयोजन किया गया. आज सुबह 4:30 बजे मंदिर के द्वार खोले गए और प्रातःकालीन पूजा के बाद भगवान मद्महेश्वर जी के दर्शन किए गए. इसके बाद कपाट बंद करने की प्रक्रिया आरंभ हुई.
उपस्थित गणमान्य और श्रद्धालु
कपाट बंद होने के इस शुभ अवसर पर प्रभारी अधिकारी यदुवीर पुष्पवान, पुजारी टी. गंगाधर लिंग, मंदिर समिति के कर्मचारी पारेश्वर त्रिवेदी, दिनेश पंवार, अनिल बर्त्वाल, पंचगाई हक-हकूकधारी, वन विभाग के कर्मचारी और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे. इस तरह भगवान मद्महेश्वर जी की डोली अब शीतकालीन प्रवास के लिए अपने अगले पड़ाव की ओर बढ़ गई है और श्रद्धालु अब श्री ओंकारेश्वर मंदिर में उनकी पूजा-अर्चना करेंगे
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