Uttarakhand News: विजय दशमी के पावन पर्व पर विश्वप्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल में बंद होने की तिथि परंपरा अनुसार निकाली जाती है. पंचांग गणना के अनुसार कपाट बंद होने की तिथि निश्चित की जाती है, जिसमें मुख्य पुजारी रावल जी, धर्माधिकारी समेत मंदिर समिति के शीर्ष अधिकारी उपस्थित होते हैं.


इसी अवसर पर आने वाले वर्ष के लिए पगड़ी परंपरा निभाने वाले हक-हकूकधारियों की घोषणा भी की जाती है. मान्यता अनुसार भू-बैकुंठ धाम बद्रीनाथ में पूजा का अधिकार 6 माह मनुष्यों को और 6 माह देवताओं को है. ऐसी मान्यता है कि शीतकाल में 6 माह देवताओं के प्रतिनिधि नारद जी द्वारा भगवान नारायण की पूजा सम्पन्न की जाती है. इस वर्ष पंचांग गणना के बाद बद्रीनाथ धाम के कपाट रविवार 17 नवंबर को रात्रि 9 बजकर 7 मिनट पर बंद होने का मुहूर्त निकला है. हालांकि कपाट बंद होने की प्रक्रिया 13 नवंबर बुधवार से शुरू हो जाएगी.


जानें क्या है बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने को प्रक्रिया


13 नवंबर बुधवार को प्रातः गणेश जी की पूजा के बाद सायंकाल में गणेश जी के कपाट बंद कर दिए जाएंगे.
14 नवंबर गुरुवार के दिन भगवान शंकर आदिकेदारेश्वर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे.
15 नवंबर शुक्रवार के दिन वेद और खड्ग पूजन किया जाएगा इस दिन से धाम में वेदों का उच्चारण बंद हो जाता है.
16 नवंबर को शनिवार को महालक्ष्मी पूजन किया जाएगा.
17 नवंबर को भगवान प्रभात में भगवान का पुष्प श्रृंगार किया जाएगा उसके बाद रात्रि 9 बजकर 07 मिनट पर मीन लग्न में भगवान के कपाट शीतकाल हेतु बंद कर दिए जाएंगे.
18 नवंबर को कुबेर और उद्धव जी की डोली पांडुकेश्वर पहुंचेगी.
19 नवंबर को पूजा के पश्चात शंकराचार्य जी की डोली जोशीमठ नृसिंह मंदिर के लिए रवाना होगी और सायंकाल में भगवान शंकराचार्य जी की डोली नृसिंह मंदिर में विराजित होगी.