Uttarakhand Holiday on Igas: उत्तराखंड के लोकपर्व इगास-बग्वाल को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजकीय अवकाश की घोषणा की है. मंगलवार को सीएम धामी ने इस अवकाश का ऐलान किया है. यह दूसरा मौका है जब उत्तराखंड में इगास लोकपर्व को लेकर अवकाश घोषित किया गया है. इससे पहले, साल 2021 में भी सीएम धामी ने इगास बग्वाल पर राजकीय अवकाश का ऐलान किया था. 


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इगास बग्वाल उत्तराखंड के लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है. यह उत्तराखंड की लोक संस्कृति का प्रतीक है. इसलिए सबकी कोशिश होनी चाहिए कि अपनी सांस्कृतिक विरासत और परंपरा को जीवित रखें. नई पीढ़ी लोक संस्कृति और पारम्परिक त्योहारों से जुड़ी रहे, यही उद्देश्य है.


अपनी गढ़वाली बोली में ट्वीट करते हुए सीएम धामी ने लिखा, "आवा! हम सब्बि मिलके इगास मनोला. नई पीढ़ी ते अपणी लोक संस्कृति से जुड़ोला. लोकपर्व 'इगास' हमारु लोक संस्कृति कु प्रतीक च। ये पर्व तें और खास बनोण का वास्ता ये दिन हमारा राज्य मा छुट्टी रालि, ताकि हम सब्बि ये त्योहार तै अपणा कुटुंब, गौं मा धूमधाम सै मने सको."



कब और कैसे मनाया जाता है इगास का पर्व?
जानकारी के लिए बता दें कि इगास का पर्व दीपावली के 11 दिन बाद मनाया जाता है. इस दिन को लेकर उत्तराखंड में वर्षों से चली आई परंपरा है. देवभूमि में इस दिन भैलो खेला जाता है और साथ मिलकर खुशियां बांटी जाती हैं. वहीं, एक खास परंपरा यह है कि रक्षा बंधन पर हाथ पर बांधे गए रक्षासूत्र को बछड़े की पूंछ पर बांधा जाता है और मन्नत पूरी होने के लिए आशीर्वाद मांगा जाता है. साल 2022 में यह पर्व 4 नवंबर को पड़ेगा.


इगास का क्या है अर्थ
गढ़वाली बोली में इगास का मतलब एकादशी होता है. वहीं, बग्वाल का अर्थ है पाषाण युद्ध. हालांकि, पहले पाषाण युद्ध का अभ्याल दीपावली पर किया जाता है. कुछ समय बाद पाषाण युद्ध का अभ्यास तो बंद कर दिया गया, लेकिन दिवाली को पहाड़ों में बग्वाल कहा जाने लगा. इसलिए कार्तिक मास शुक्लपक्ष की एकादशी को मनाई जाने वाली दिवारी को इगास बग्वाल कहा जाता है.