उत्तराखंड के स्कूलों और मदरसों के सिलेबस में बड़ा बदलाव, अब इतिहास में पढ़ाया जाएगा ये भी विषय
CM Dhami: उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से अवगत कराने के लिए विद्यालयों और मदरसों में कक्षा 6 से 8 तक के पाठ्यक्रम में हमारी विरासत एवं विभूतियां नामक पुस्तिका को शामिल करने का निर्णय लिया है।

Uttarakhand News: उत्तराखंड सरकार ने राज्य आंदोलन, संस्कृति और महान विभूतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से सरकारी, सहायता प्राप्त विद्यालयों और मान्यता प्राप्त मदरसों के कक्षा 6 से 8 तक के पाठ्यक्रम में हमारी विरासत एवं विभूतियां नामक पुस्तिका को शामिल करने का निर्णय लिया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. इस कदम से बच्चों को न केवल अपने राज्य के इतिहास की जानकारी मिलेगी, बल्कि यह पुस्तिका विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी सहायक होगी.
शिक्षा विभाग के अनुसार, इस पुस्तिका में उत्तराखंड के राज्य आंदोलन से जुड़ी घटनाओं के साथ-साथ उन महान विभूतियों का भी उल्लेख किया गया है, जिन्होंने समाज, संस्कृति और राष्ट्र के लिए योगदान दिया. इसमें श्रीदेव सुमन, तीलू रौतेली, वीरभड़ माधो सिंह भंडारी, नैन सिंह रावत, कालू मेहरा, राज्य आंदोलनकारी हंसा धनाई और नागेंद्र सकलानी जैसे नाम शामिल हैं.
पुस्तिका में प्रेरणादायक गाथा भी शामिल की गई है
पुस्तिका में चौंदकोट जनशक्ति मार्ग की प्रेरणादायक गाथा भी शामिल की गई है. पौड़ी जिले में स्थित 33 किलोमीटर लंबा यह मार्ग सामुदायिक सहयोग और श्रमदान का उत्कृष्ट उदाहरण है. इसके अलावा, वर्ष 1951 में टिहरी जिले के बूढ़ाकेदार क्षेत्र में सामाजिक समरसता का प्रतीक बने साझा चूल्हे की कहानी भी इस पुस्तिका का हिस्सा होगी.
धर्म और संस्कृति के पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, पुस्तिका में भगवान राम का उत्तराखंड से जुड़ाव भी बताया गया है. इसमें गढ़वाल और कुमाऊं में राम मंदिरों की परंपरा और पूजा पद्धति का विवरण दिया गया है. पौड़ी जिले के सितोंस्यू गांव में माता सीता के मंदिर का उल्लेख करते हुए यह भी बताया गया है कि पौराणिक मान्यता के अनुसार माता सीता ने यहां भू-समाधि ली थी. शिक्षा विभाग के अनुसार, यह पुस्तिका छात्रों को उत्तराखंड की ऐतिहासिक और सामाजिक विभूतियों से परिचित कराएगी. इसमें जिन प्रमुख विभूतियों को शामिल किया गया है, वे इस प्रकार हैं-
- स्वतंत्रता संग्राम सेनानी: कालू मेहरा, वीरभड़ माधो सिंह भंडारी, सर्वेयर नैन सिंह रावत, पुरिया नैथानी, वीर केसरीचंद
- राज्य आंदोलनकारी: हंसा धनाई, बेलमति चौहान, नागेंद्र सकलानी, मोलू भरदारी, विपिनचंद्र त्रिपाठी
- साहित्य और कला क्षेत्र की विभूतियां: महाकवि चंद्रकुंवर बर्त्वाल, गिरीश तिवारी 'गिर्दा', कबूतरी देवी
- सैन्य वीरता के प्रतीक: कारगिल शहीद मेजर राजेश अधिकारी, मेजर विवेक गुप्ता, अशोक चक्र विजेता गजेंद्र सिंह बिष्ट
- सामाजिक कार्यकर्ता और अन्य महत्वपूर्ण नाम: सोबन सिंह जीना, गंगोत्री गर्ब्याल, जसौली सौकियाण, मुंशी हरि प्रसाद टम्टा, खुशीराम आर्य, रानी कर्णावती, टिनचरी माई, बद्रीदत्त पांडे
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने क्या कहा?
शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह पुस्तिका बच्चों को उनके राज्य की गौरवशाली परंपरा और संघर्षशील इतिहास से जोड़ने का कार्य करेगी. इसका उद्देश्य उन्हें अपने नायकों से प्रेरणा देना और राज्य आंदोलन के महत्व को समझाना है. उत्तराखंड सरकार के इस फैसले को शिक्षा और संस्कृति संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. इसके माध्यम से युवा पीढ़ी अपने गौरवशाली इतिहास से जुड़ेगी और अपनी जड़ों को समझने के लिए प्रेरित होगी.
छात्रों को उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से अवगत कराने के लिए पुस्तिका में न्याय के देवता गोलज्यू, स्थानीय विशभूषा, पारंपरिक व्यंजन और लोक नृत्य के बारे में भी जानकारी दी जाएगी. इससे बच्चे अपने समाज और परंपराओं को गहराई से समझ सकेंगे. राज्य में छात्रों को इन सभी के बारे में अवगत कराया जाएगा.
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