Uttarakhand News: उत्तराखंड शिक्षा विभाग (Education Department) में ऐसे शिक्षकों और कार्मिकों को अनिवार्य रिटायरमेंट (Compulsory Retirement) दिए जाने की तैयारी चल रही है जो सेवाएं देने में असमर्थ हैं और लंबे समय से बीमार है या फिर किन्ही अन्य वजहों से अपनी सेवाएं नहीं दे पा रहे हैं. प्रदेश में ऐसे करीब 2000 शिक्षक हैं जिन्हें अब अनिवार्य रिटायरमेंट दिया जाएगा. जिसके बाद उन पदों पर नए शिक्षकों की भर्ती की जाएगी, जिससे छात्रों की पढ़ाई को हो रहे नुकसान की भरपाई की जा सके. 


बीमार शिक्षकों के अनिवार्य रिटायरमेंट



शिक्षा विभाग में प्रदेश भर में बेसिक और माध्यमिक शिक्षा में तकरीबन 72000 शिक्षक अपनी सेवाएं दे रहे हैं. लेकिन इनमें से बड़ी संख्या में शिक्षक बीमार है या किन्ही कारणों से लंबे समय से छुट्टी पर चल रहे हैं. ऐसे में अब इन शिक्षकों और कार्मिकों को राहत देने की तैयारी है जो गंभीर बीमारी के चलते सेवाएं नहीं दे पा रहे हैं, शिक्षा मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जो शिक्षक गंभीर बीमारी से ग्रस्त है और सेवाएं नहीं दे पा रहे हैं. उनकी सेवाएं 20 साल से अधिक हो गई है तो उनको अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाए.

 

खाली पदों पर होगी नई भर्ती 

दरअसल ऐसा करने से जहां गंभीर बीमारी से ग्रस्त शिक्षकों और कार्मिकों को 20 साल की सेवा के बाद पेंशन का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा, तो वही जिन पदों पर वो नियुक्त होने के बाद भी अपनी सेवाएं नहीं दे पा रहे हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है. उस पद को नई नियुक्ति से भरा जा सकता है, जिससे पढ़ाई को भी नुकसान नहीं होगा. 

 

शिक्षा मंत्री ने सुझाया ये फॉर्मूला 

शिक्षा मंत्री ने जो फार्मूला सुझाया है, वह गंभीर बीमारी से ग्रस्त शिक्षकों के लिए भी राहत देने वाला है तो वहीं जिन शिक्षकों की सेवाएं 20 साल से कम हुई है उनको भी अटैचमेंट या उनके घर के आसपास सेवाएं देने के निर्देश शिक्षा मंत्री ने दिए है. प्रारंभिक शिक्षा निदेशक वंदना गबर्याल का कहना है कि पहले भी इस तरीके के आदेश जारी किए गए हैं, लेकिन फिर से आदेश जारी किए जा रहे हैं. जिसके बाद ऐसे शिक्षकों और कार्मिकों को चिन्हित किया जाएगा जो गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं. 

 


 

कुल मिलाकर देखें तो यह फार्मूला वास्तव में सराहनीय है, क्योंकि इससे जहां गंभीर बीमारी से ग्रस्त शिक्षकों और कार्मिकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने से, वह पेंशन पाकर अपना उपचार और देखभाल ठीक से करा सकते हैं तो वही उनके पद खाली होने से नई नियुक्ति से छात्रों को पढ़ाई में हो रहे नुकसान की भरपाई की जा सकती है, देखना ही होगा कि आखिर इतनी जल्दी शिक्षा विभाग इस पर अमल कर पाता है या नहीं. 

 

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