Haridwar News: उत्तराखंड (Uttarakhand) में एक बार फिर मंदिरों में मर्यादा बनाए रखने की चर्चा जोरों पर होने लगी हैं. इसी मर्यादा को बनाए रखने के लिए हरिद्वार में महानिर्वाणी अखाड़े (Mahanirvani Akhara) के सचिव महंत रविंद्र पुरी (Ravindra Puri) ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि 80 प्रतिशत शरीर ढका हुआ होने पर ही मंदिरों में दर्शन करने की अनुमति दी जाएगी. रविंद्र पूरी का साफ कहना है कि मंदिरों में दर्शन के लिए मर्यादाओं को ध्यान रखना चाहिए, जो हमारी सांस्कृतिक परंपराएं हैं और हमारे परिधान हैं, उनके आधार पर ही आना चाहिए.
महंत रविंद्र पुरी के इस बयान के बाद राजनीति भले ही तेज हो गई हो लेकिन सियासी दलों के प्रतिनिधि जरूर इस बात का समर्थन करते हुए नजर आ रहे हैं कि कम से कम सनातन धर्म में जो मर्यादा अपनाने की बात कही जाती है, उसका जो उल्लंघन हो रहा था, वह पालन होना जरूरी था और यही बात मंहत भी कह रहे है. रवींद्र पुरी के मुताबिक जिस प्रकार से महिलाएं इन दिनों छोटे कपड़ों को पहनने के प्रचलन को अपनाकर मंदिरों में आ रही हैं, उस पर विराम लगना जरूरी है.
रविंद्र पुरी ने क्या कहा?
रविंद्र पुरी ने कहा कि दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में भी यह व्यवस्था लागू हो चुकी है कि कम कपड़े पहनने वाली महिलाओं का मंदिरों में प्रवेश वर्जित होगा, क्योंकि यह नियम के खिलाफ होता है, इसलिए यहां पर भी इसका पालन होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि कम कपड़ों के चलते ही लव जिहाद जैसी घटनाएं भी समाज में घटित हो रही हैं.
'मर्यादा का पालन होना जरूरी'
दूसरी तरफ कांग्रेस भी महंत के इस बयान का समर्थन कर रही है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण मेहरा ने कहा कि जो महंत ने कहा है, वह सही है और सनातन धर्म में इसका प्रयोग पहले से ही होता आया है. कम कपड़े पहने हुए लोगों के मंदिरों में दर्शन बैन किए जाने के मामले पर बद्री-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि धामों की अपनी एक मर्यादा होती है और उस मर्यादा का पालन होना जरूरी भी है. साथ ही तीर्थ पुरोहित ब्रजेश सती ने कहा कि जिस तरीके से आजकल कम कपड़े पहनने का ट्रेड चला है, वह धामों और मंदिरों की मर्यादा के अनुरूप नहीं है, जिस का विरोध किया जाना चाहिए.
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