(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
छह महीने के शावक को बचाने के लिए बाघिन की फेक मेटिंग, समझदारी देख हर कोई हैरान
Nainital News: एक बाघिन ने अपने छह महीने के शावक को बचाने के लिए एक बाघ के साथ नकली मेटिंग की.उसने बाघ को महीनों तक यह विश्वास दिलाया कि वह मेटिंग के लिए तैयार है, ताकि शावक पर हमला न हो.
Terai West Forest Division Uttarakhand: उत्तराखंड के तराई पश्चिमी वन प्रभाग में एक बाघिन की अनोखी कहानी सामने आई है, जिसने अपने छह महीने के शावक को बचाने के लिए एक बाघ के साथ नकली मेटिंग (फेक मेटिंग) की. बाघिन ने छह महीने तक बाघ को यह विश्वास दिलाया कि वह मेटिंग के लिए तैयार है, ताकि वह अपने शावक को बाघ के हमले से बचा सके. इस अद्वितीय घटना ने वन्यजीव प्रेमियों और विशेषज्ञों को चौंका दिया है.
घटना का केंद्र 'फाटो जोन' है, जहां अप्रैल महीने में बाघिन अपने छह महीने के शावक के साथ एक वाटर हॉल के पास खेलती दिखी थी. यह नजारा पर्यटकों ने अपने कैमरों में कैद किया. कुछ हफ्तों बाद मई महीने में उसी क्षेत्र में बाघिन एक बाघ के साथ मेटिंग करती नजर आई, जिससे विशेषज्ञों को यह शंका हुई कि शायद बाघिन का शावक मर चुका है, क्योंकि आमतौर पर बाघ शावकों को मारने की प्रवृत्ति रखते हैं ताकि वे मादा के साथ मेटिंग कर सकें.
लेकिन कुछ ही दिनों बाद, बाघिन फिर से अपने शावक के साथ दिखाई दी. इसने सभी को हैरान कर दिया. वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर दीप रजवार के अनुसार, बाघिन ने बाघ से शावक को बचाने के लिए करीब एक महीने तक नकली मेटिंग की. बाघिन को लगातार बाघ के इलाके में आने से अपने शावक की सुरक्षा का खतरा महसूस हो रहा था, इसलिए उसने चालाकी से बाघ के साथ फेक मेटिंग कॉल की. इस पूरे समय के दौरान बाघिन ने बाघ को अपने शावक के अस्तित्व के बारे में भ्रमित रखा.
वन विभाग की सतर्कता
तराई पश्चिमी वन प्रभाग के डीएफओ, प्रकाश चंद्र आर्य ने बताया कि बाघिन और उसके शावक की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कैमरा ट्रैप लगाए गए थे. साथ ही, वन विभाग के कर्मचारियों को भी सतर्क किया गया ताकि शावक और बाघिन पर किसी भी खतरे से बचाव किया जा सके. वन विभाग ने बाघिन और शावक की हर गतिविधि पर नजर बनाए रखी और यह सुनिश्चित किया कि बाघिन और उसका शावक सुरक्षित रहें.
शावक हुआ सुरक्षित
अब, बाघिन का शावक एक साल का हो चुका है और वह अपनी मां के साथ सुरक्षित घूम रहा है. वन विभाग ने बताया कि बाघिन का शावक अब खतरे से बाहर है और वह जंगल में स्वतंत्र रूप से अपनी मां के साथ विचरण कर रहा है. बाघ का भी उस इलाके में अब आना बंद हो चुका है, जिससे शावक के लिए खतरा पूरी तरह टल चुका है.
बाघिन की समझदारी
इस घटना ने यह साबित किया कि जंगल में न केवल बाघिनों को अपने बच्चों की सुरक्षा का डर होता है, बल्कि वे अपनी चालाकी और समझदारी का भी उपयोग करती हैं. बाघिन ने अपनी बुद्धिमानी से बाघ को लंबे समय तक भ्रमित रखा और अपने शावक को सुरक्षित रखा. इस घटना ने वन्यजीव संरक्षण से जुड़े लोगों का ध्यान आकर्षित किया है और यह जंगल में जानवरों की रणनीति और व्यवहार को समझने में एक महत्वपूर्ण कदम है.
बाघिन की यह रणनीति वन्यजीव विशेषज्ञों और वन विभाग के लिए भी एक प्रेरणा बनी है, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि जंगली जीवों में भी अपनी संतानों की सुरक्षा के लिए अनोखे तरीके होते हैं.
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