रुद्रप्रयाग: केदारनाथ आपदा के बाद पटरी पर लौटती चारधाम यात्रा एक बार फिर से कोरोना महामारी के कारण दम तोड़ती नजर आ रही है. चारधाम यात्रा अस्थाई तौर पर स्थगित होने से यात्रा पड़ावों पर वर्षो से रोजगार करने वाले व्यापारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. यहां तक कि बैंक लोन चुकाना भी व्यापारियों को भारी पड़ रहा है. सरकार की ओर से व्यापारियों को कोई राहत नहीं दी गई है, जिस कारण उनमें केन्द्र और राज्य सरकार के खिलाफ आक्रोश बना हुआ है.


महामारी ने चारधाम यात्रा की कमर तोड़ कर रख दी है
बता दें कि, केदारनाथ आपदा ने उत्तराखंड की आर्थिकी की रीढ़ चारधाम यात्रा की कमर तोड़कर रख दी थी. आपदा के कारण यात्रा से जुड़े तमाम व्यवसायियों को बड़ा झटका लगा. आपदा से हुए भारी नुकसान से उबरने में लोगों को चार से पांच साल का समय लगा. वर्ष 2017 से 2019 तक यात्रा पटरी पर लौट आई. यात्रियों की संख्या में वर्ष 2019 में हुई भारी बढ़ोत्तरी से चारधाम यात्रा से जुड़े व्यवसायियों की उम्मीदें भी जगीं. सुनहरे भविष्य की आस में व्यवसायियों ने बैंकों से भारी कर्ज लेकर नए व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को खोला, मगर लगातार दूसरे साल जारी कोरोना महामारी ने चारधाम यात्रा की कमर तोड़ कर रख दी है. अब व्यवसायियों को बैकों से लिए लोन का ब्याज चुकाने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है.


लोग घरों में बेरोजगार बैठे हैं
वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के चलते केदारनाथ यात्रा स्थगित होने से हजारों परिवारों की आर्थिकी चैपट हो गई है. लोग घरों में बेरोजगार बैठे हैं. वहीं, बाजारों में सन्नाटा पसरा है. दूसरी तरफ, जिन कारोबारियों ने बैंक से ऋण लेकर अपने कारोबार की रूपेरखा तैयार की थी, उनके लिए किश्तें जमा करना मुश्किल हो रहा है, जबकि बैंक नोटिस भेजा रहा है. यात्रा स्थगित होने से गुप्तकाशी, फाटा, सोनप्रयाग, गौरीकुंड और केदारपुरी में यात्रा काल में होटल, लॉज, रेस्टोंरेंट, ढाबा से जुड़े कारोबार करने वाले चार हजार से अधिक कारोबारियों की आर्थिकी पर सीधा असर पड़ा है. इसके अलावा सैकड़ों व्यापारी प्रभावित हुए हैं. 


बैंक से नोटिस मिल रहे हैं
कारोबारियों से जुड़े अन्य हजारों परिवारों की आर्थिकी चैपट हो गई है. लोगों के सामने परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो रहा है. व्यापारियों की मानें तो 85 फीसदी कारोबारियों ने बैंक से ऋण लिया है. यात्रा स्थगित होने से कारोबार चैपट हो गया है. वहीं, मार्च के बाद से भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और को-ऑपरेटिव बैंक से संबंधित कारोबारियों को ऋण की किश्त जमा करने के नोटिस मिल रहे हैं. यात्रा स्थगित होने से कारोबारियों के सामने ऋण की किश्त जमा करना तो दूर अपनी आजीविका चलाना मुश्किल हो रहा है. उन्होंने प्रदेश सरकार से यात्रा से जुड़े कारोबारियों को राहत पैकेज जारी करने के साथ ही प्रतिष्ठानों के बिजली, पानी के बिल माफ करने और बैंक ऋण के ब्याज को माफ करने की मांग की है.  


लोगों की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है
चारधाम यात्रा में मई और जून के महीने सबसे महत्वपूर्ण होते हैं. कोरोना महामारी के दोनों सालों में इन दो महीनों में महामारी का प्रकोप सबसे ज्यादा रहा है. महामारी का छोटे से लेकर बड़े व्यापारी पर खासा असर पड़ा है. यात्रा पर निर्भर सैकड़ों वाहन चालक और तीर्थ पुरोहित भी बीते दो सालों से आर्थिक संकट झेल रहे हैं. केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने कहा कि यात्रा से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है. सरकार ने अब आगे आकर इन लोगों को राहत पैकेज या मदद नहीं दी तो पानी सिर से ऊपर चला जाएगा और त्राहिमाम वाली स्थिति हो जाएगी. 


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