देहरादून: कोरोना की वजह से उत्तराखंड का पर्यटन उद्योग पूरी तरह चौपट है. पर्यटन से जुड़े लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगो को राज्य सरकार ने बड़ी राहत दी है. राज्य सरकार ने पर्यटन कारोबार से जुड़े तकरीबन 50 हजार लोगों को 25 करोड़ की आर्थिक सहायता देने का फैसला लिया है.
रोजी-रोटी का संकट
उत्तराखंड में अधिकांश लोगों का व्यवसाय पर्यटन से जुड़ा है. कोरोना की वजह से पिछले डेढ़ सालों से पर्यटन गतिविधियां पूरी तरह से बंद हैं जिससे पर्यटन व्यवसाय से जुड़े तमाम लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. अधिकांश लोग सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि पर्यटन व्यवसाय को खोल दिया जाए ताकि वो आर्थिक संकट से उबर सकें.
सरकार पर तकरीबन 25 करोड़ का अतिरिक्त प्रभार पड़ेगा
कोरोना की वजह से पर्यटन गतिविधियां तो नहीं खोली गई हैं लेकिन सरकार ने पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों को राहत देने की कोशिश की है. कल हुई कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया गया है कि राज्य में पर्यटन कारोबार से जुड़े तकरीबन पचास हजार लोगों को ढाई हजार रुपए प्रतिमाह दिए जाएंगे. ये धनराशि 2 महीने की होगी. इसमें 5 हजार रुपये एकमुश्त सीधे खाते जाएंगे. इससे सरकार पर तकरीबन 25 करोड़ का अतिरिक्त प्रभार पड़ेगा.
सरकार ने हल्की राहत देने की कोशिश की है
पिछले साल कोरोना की पहली लहर में भी तकरीबन 37 हजार से ज्यादा कर्मियों को आर्थिक मदद दी गई थी और इस बार सरकार ने पर्यटन कारोबार से जुड़े 50 हजार लोगों को मदद देने का फैसला लिया है. इतना ही नहीं पंजीकृत 303 एडवेंचर टूर ऑपरेटर को 10 हजार की मदद दी जाएगी. वीरचंद गढ़वाली पर्यटक योजना और दीनदयाल होम स्टे योजना के तहत लिए गए ऋण के ब्याज में छूट देने का फैसला भी लिया गया है. इससे पर्यटन उद्योग से जुड़े लोग भी काफी खुश हैं. उनका कहना है कि पर्यटन व्यवसाय पिछले लंबे समय से बंद है ऐसे में सरकार ने हल्की राहत देने की कोशिश की है, हालांकि ये बहुत कम है.
सहमत नहीं विपक्ष
वहीं, विपक्ष सरकार के इस फैसले सहमत नहीं है. विपक्ष का कहना है कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत जिन लोगों को ऋण दिया गया था वो अभी भी परेशानी में हैं. उत्तराखंड पर्यटन प्रदेश है और यहां पर्यटन गतिविधियां ना हों तो लोगों का व्यवसाय चौपट हो जाता है. पिछले डेढ़ साल से यही हो रहा है. जो लोग इस व्यवसाय से जुड़े हैं वो इन दिनों वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं. इस संकट से उबारने के लिए सरकार ने आर्थिक मदद का फैसला जरूर लिया है, लेकिन ये ऊंट के मुंह में जीरे के समान है.
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