Haridwar Hotels: धर्मनगरी हरिद्वार में लाखों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाने आते हैं. इन श्रद्धालुओं के रहने की व्यवस्था के लिए हरिद्वार में सैकड़ों धर्मशाला और होटल हैं. लेकिन इनमें से अधिकतर होटल बिना पंजीकरण के ही चलाए जा रहे हैं. लेकिन सब कुछ जानते हुए भी जिला पर्यटन विभाग इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. इस कारण सरकार को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है.


पहले 384 होटल थे पंजीकृत
जिला पर्यटन अधिकारी सुरेश यादव का कहना है कि पहले यहां पर 384 होटल सराय एक्ट के तहत पंजीकृत थे. लेकिन, 2015-16 में इस एक्ट को समाप्त कर दिया गया. अब उत्तराखंड यात्रा व्यवसाय पंजीकरण नियमावली लागू की गई है. इस नियम के तहत कई प्रक्रिया ऐसी है, जिसे ऑनलाइन स्वीकृत कराना बहुत जरूरी होता है. इसके बिना भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है.


इतना हो सकता है होटल पर जुर्माना
जिला पर्यटन अधिकारी का कहना है कि हरिद्वार में 800 से अधिक ऐसे होटल हैं, जो आवासीय लैंड पर बनाए गए हैं. होटल या धर्मशाला के लिए कमर्शियल मानचित्र अनिवार्य है. लेकिन, हरिद्वार में अधिकतर होटल बिना पंजीकरण के ही चलाए जा रहे हैं. इनका कहना है कि जिन होटलों का पंजीकरण नहीं है, उनपर नोटिस भेजा जाता है. इसके बाद 10 हजार का जुर्माना लगाकर एक हजार रुपए प्रति दिन के हिसाब से वसूला जा सकता है.


कार्रवाई हो तो सरकार को होगा लाभ
अधिकारी स्वयं इस बात को कबूलते हैं कि हरिद्वार में 800 से अधिक होटल बिना पंजीकरण के ही चल रहे हैं. लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं की जा रही. अगर नियम के तहत इन होटलों पर कार्रवाई करते हुए जुर्माने के रूप में राजस्व वसूला जाए तो सरकार को इससे लाभ भी पहुंचेगा और अधिकतर होटल अपना पंजीकरण कराने के लिए पर्यटन ऑफिस की ओर दौड़ पड़ेंगे. लेकिन, कोई आगे आ ही नहीं रहा है.


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