Uttarakhand UCC Provision: यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर देशभर में चर्चा तेज है. पीएम मोदी की तरफ से यूसीसी की वकालत करने के बाद ये मुद्दा फिर से सुर्खियों में आ गया. उत्तराखंड की बीजेपी सरकार ने यूसीसी लागू करने की तैयारी भी लगभग पूरी कर ली है. सूत्रों के अनुसार, इसी नवंबर के महीने में उत्तराखंड में यूसीसी लागू किया जा सकता है. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने राज्य में यूसीसी लागू करने का वादा किया था और इसे लेकर सरकार बनने पर एक कमेटी भी गठित की थी.
यूसीसी लागू करने को लेकर हाल ही में उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा था, "हमने उत्तराखंड की जनता के सामने चुनाव में यूसीसी को लेकर प्रस्ताव रखा था कि नई सरकार बनने एक समिति बनाएंगे और यूसीसी लागू करेंगे. समिति अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है. जैसे ही ये तैयार होगा और हमें इसका मसौदा मिल जाएगा, हम आगे बढ़ेंगे." सीएम ने जल्द यूसीसी लागू करने के संकेत दे दिए हैं. ऐसे में हम आपको बताते हैं कि आखिर यूसीसी में क्या है और इसके लागू होने पर क्या बदलाव होंगे.
यूसीसी बिल में हो सकते हैं ये प्रावधान-
- सभी तरह के तलाक खत्म हो सकते हैं. केवल ज्यूडीशियल तलाक ही मान्य होगा.
- तलाक-ए-अहसन और तलाक-ए-हसन पर भी रोक लग सकती है.
- लिव इन रिलेशनशिप पर नया मसौदा आएगा. जिसको डिक्लेअर न करने पर सजा का प्रावधान होगा. लिव इन रिलेशनशिप पर माता पिता को जानकारी जाएगी.
- बहुविवाह, हलाला और इद्दत पर रोक लग सकती है.
- लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ेगी.
- शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा, बिना रजिस्ट्रेशन के सरकारी सुविधा नहीं मिलेगी.
- ग्रामीण स्तर पर भी शादी के रजिस्ट्रेशन की सुविधा रहेगी.
- पति-पत्नी दोनों को तलाक का समान अधिकार रहेगा.
- उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर हक मिलेगा.
- नौकरी शुदा लड़के की मौत पर माता पिता को भी हिस्सा मिलेगा. पत्नी के पुनर्विवाह पर मुआवजे में माता पिता को भी हिस्सा मिलेगा.
- पत्नी की मौत पर उसके माता पिता की जिम्मेदारी पति की होगी.
- मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार मिलेगा.
- गोद लेने की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा.
चुनाव की वजह से हो रही देरी?
चर्चा है कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के लिए गठित किए गए पैनल ने जून में ही रिपोर्ट तैयार कर ली थी और इसे राज्य सरकार को सौंपने के लिए केवल राजनीतिक मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है. माना जा रहा है कि पांच राज्यों में चल रहे चुनावों के बीच इसे लागू करने में देरी हो रही है. क्योंकि उत्तराखंड में यूसीसी के साथ-साथ बीजेपी की नजरें कहीं न कहीं अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव पर भी है.
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