Laksar Vidhan Sabha Chunav 2022: एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर हावी, जीत की हैट्रिक लगाएगी बीजेपी?
हरिद्वार जिले की लकसर विधानसभा सीट पर बीजेपी हैट्रिक लगाने की कोशिश कर रही है. हालांकि, इस बार कांग्रेस से उसे कड़ी टक्कर मिल सकती है. आइये जानते हैं क्या है यहां का समीकरण
Uttarakhand Election 2022: उत्तराखंड के हरिद्वार (Haridwar) जिले की लकसर (Laksar) विधानसभा सीट पर पिछले दो चुनावों से बीजेपी (BJP) का ही कब्जा है. साल 2012 और फिर 2017 में बीजेपी के संजय गुप्ता दो बार लगातार यहां से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. हालांकि, बीजेपी को जीत का हैट्रिक लगाने में मुश्किलें सामने आ सकती हैं.
क्या है लकसर विधानसभा सीट का इतिहास?
संयुक्त उत्तर प्रदेश के समय हरिद्वार जिले में केवल तीन ही विधानसभा सीटें होती थी, जिनमें हरिद्वार, रुड़की और लक्सर सीटें थी. उस समय जिले का बहुत बड़ा हिस्सा लक्सर विधानसभा सीट के अंतर्गत आता था. अलग उत्तराखंड राज्य बनने पर लक्सर सीट का काफी हिस्सा अन्य सीटों में विभाजित कर दिया गया. वर्ष 2002 में हुए सबसे पहले विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन यहां से विधायक चुने गए. बाद में वो कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
वर्ष 2007 में चैंपियन यहां से कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए. 2012 में खानपुर सीट अलग हो जाने के बाद संजय गुप्ता बीजेपी की टिकट पर चुनाव जीते. 2017 में भी उन्होंने अपनी सीट बरकरार रखी. मौजूदा परिस्थिति में वर्ष 2022 में होने वाले चुनावों में उन्हें अपनी सीट बचाने के लिए कड़ी चुनौती से गुजरना पड़ेगा.
लक्सर क्षेत्र की समस्याएं
- विधानसभा क्षेत्र का काफी बड़ा हिस्सा जलभराव की गंभीर समस्या की चपेट में है.
- बिजली और पानी की समस्या भी गंभीर है.
- चिकित्सा सुविधाओं की भी बेहतर व्यवस्था नहीं है.
- लक्सर कस्बे में शुगर मिल के वेस्टेज से होने वाली गंदगी और बदबू लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है
- क्षेत्र के किसानों को यूरिया खाद सहित अन्य जरूरी रसायनों की उपलब्धता की भी किल्लत बनी रहती है.
- इलाके के कई गांव आज भी टूटी फूटी सड़कों के सहारे हैं.
लक्सर सीट पर मतदाताओं की संख्या
कुल मतदाता 99,622
पुरुष मतदाता 53,345
महिला मतदाता 46.272
अन्य मतदाता 116
विधायक संजय गुप्ता लगातार दूसरी बार के विधायक हैं. उनको लेकर क्षेत्र में एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर भी हावी है. हालांकि क्षेत्र में वह बेहद सक्रिय रहते हैं, लेकिन जनता का कहना है कि उनके विकास कार्यों की रफ्तार सुस्त है. हालांकि संजय ने स्लॉटर हाउस जैसे बड़े मुद्दों को उठाकर भाजपा को अग्रणी भी रखा है. इस बार संजय गुप्ता के लिए राह इतनी आसान नहीं रहेगी. कांग्रेस ने अगर मजबूती से ताल ठोकी तो संजय गुप्ता के लिए कड़ी टक्कर हो सकती है.
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