Uttarakhand News: उत्तराखंड के बदरीनाथ धाम और आसपास के क्षेत्रों में इस बार मौसम का रुख बदला-बदला नजर आ रहा है. हर साल नवंबर तक हिमाच्छादित रहने वाली बदरीनाथ की ऊंची चोटियां इस बार बर्फविहीन हैं. बर्फबारी की कमी ने न केवल स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं की चिंता बढ़ाई है, बल्कि पर्यावरणविदों और मौसम विज्ञानियों के लिए भी यह एक चिंताजनक संकेत है.
पिछले कुछ वर्षों तक नवंबर के मध्य तक बदरीनाथ और आसपास के क्षेत्रों में बर्फबारी शुरू हो जाती थी. ऊंची चोटियां बर्फ से ढक जाती थीं और निचले इलाकों में भी बर्फ की हल्की परत दिखाई देने लगती थी, लेकिन इस साल, नवंबर बीत जाने के बावजूद बदरीनाथ धाम और हेमकुंड साहिब की ऊंची चोटियां बर्फ से खाली हैं. धाम में रात के समय तापमान माइनस 7 डिग्री सेल्सियस तक गिर रहा है. हालांकि, बर्फबारी न होने से मास्टर प्लान के तहत चल रहे कार्यों को तेज गति से आगे बढ़ाया जा रहा है. दिन के समय निर्माण कार्य जारी रहते हैं, लेकिन दोपहर के बाद शीतलहर का प्रकोप बढ़ने से कार्य प्रभावित हो रहे हैं.
दूर-दूर तक बर्फबारी के कोई संकेत नहीं
बदरीनाथ धाम में चल रही मास्टर प्लान महायोजना में लोक निर्माण विभाग (पीआईयू) के 500 मजदूर और 25 इंजीनियर कार्यरत हैं. पीआईयू के अधिशासी अभियंता योगेश मनराल ने बताया कि इस बार दूर-दूर तक बर्फबारी के कोई संकेत नहीं हैं. ऊंची चोटियां पूरी तरह बर्फविहीन हैं. यदि मौसम का यही मिजाज रहा तो दिसंबर में भी निर्माण कार्य जारी रहेगा. मास्टर प्लान के तहत बदरीनाथ धाम को आधुनिक और भव्य रूप देने के लिए कई योजनाओं पर काम हो रहा है. बर्फबारी न होने से इन कार्यों की गति में कोई बाधा नहीं आई है, जो निर्माण दल के लिए सकारात्मक पहलू है.
बदरीनाथ धाम से 15 किमी दूर स्थित सतोपंथ ट्रेक पर भी बर्फ के दर्शन कम ही हो रहे हैं. आमतौर पर नवंबर के अंतिम सप्ताह तक यहां निचले इलाकों तक बर्फ जम जाती थी. वहीं, हेमकुंड साहिब में भी बर्फबारी का अभाव देखा जा रहा है. गोविंदघाट गुरुद्वारे के वरिष्ठ प्रबंधक सरदार सेवा सिंह ने बताया कि पहली बार शीतकाल में हेमकुंड साहिब की पहाड़ियों पर बर्फ नहीं दिखाई दे रही है. हालांकि, झील ठंड के कारण जम गई है.
बदरीनाथ के पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल का कहना है कि धाम में बर्फबारी का अभाव चिंताजनक है. पिछले चार महीने से बारिश और बर्फबारी बिल्कुल नहीं हुई है. बर्फबारी से न केवल मौसम में निखार आता है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन भी बना रहता है.
ये भी पढे़ं: कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने दोहराई सनातन बोर्ड के गठन की मांग, काशी में दिया बड़ा बयान