Uttarakhand Weather: उत्तराखंड में मौसम शुष्क बना हुआ है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में आंशिक बादल भी मंडरा रहे हैं. पर्वतीय क्षेत्रों में ठिठुरन बढ़ने लगी है, जबकि मैदानी इलाकों में गुलाबी ठंड का एहसास हो रहा है. मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में अधिकतम और न्यूनतम तापमान में और गिरावट आ सकती है, जिससे ठंडक बढ़ने के आसार हैं. 


उत्तराखंड के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ठंडक महसूस की जा रही है. खासकर मुनस्यारी की ऊंची चोटियों पर हल्का हिमपात हुआ है, जिससे आसपास के क्षेत्रों में ठंड में इजाफा हुआ है. मुनस्यारी में हल्की बूंदाबांदी भी हुई, जिसने वहां की ठिठुरन को और बढ़ा दिया. पिछले दिनों भी मुनस्यारी में हल्की वर्षा और हिमपात देखा गया था, जिससे शीतकाल में इस साल ठंड ज्यादा पड़ने के संकेत मिल रहे हैं.


मैदानी इलाकों में गुलाबी ठंड का एहसास


उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों में भी मौसम ने करवट ली है. देहरादून, ऊधमसिंह नगर और अन्य मैदानी क्षेत्रों में हल्की गुलाबी ठंड का अनुभव हो रहा है. हालांकि दिन में धूप खिली हुई है, जिससे कुछ समय के लिए तपिश महसूस होती है, लेकिन शाम होते ही तापमान में गिरावट आने से ठंड बढ़ जाती है. देहरादून में अधिकतम तापमान 30.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि न्यूनतम तापमान 18.1 डिग्री सेल्सियस रहा. 


पिछले कुछ दिनों से उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में तापमान में गिरावट देखने को मिली है. देहरादून में पिछले तीन दिनों में अधिकतम तापमान में करीब दो डिग्री की गिरावट दर्ज की गई है. इसी प्रकार, ऊधमसिंह नगर में अधिकतम तापमान 31 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 19.4 डिग्री सेल्सियस रहा. पहाड़ी क्षेत्रों में तापमान और भी कम है. मुक्तेश्वर में अधिकतम तापमान 22.5 डिग्री और न्यूनतम तापमान 10.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि नई टिहरी में अधिकतम तापमान 21.4 डिग्री और न्यूनतम 12 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.


मौसम विभाग की भविष्यवाणी


मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि अगले कुछ दिनों में प्रदेशभर में मौसम शुष्क रहेगा. इसके साथ ही अधिकतम और न्यूनतम तापमान में और गिरावट की संभावना है, जिससे ठंडक में वृद्धि होगी. मौसम के इस बदलते मिजाज के चलते बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य के प्रति विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है.


'सपा ने भी कांग्रेस को हैसियत दिखा दी', यूपी उपचुनाव सीट बंटवारे पर बोले आचार्य प्रमोद कृष्णम