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Uttarakhand Weather: उत्तराखंड में होगी रिकॉर्डतोड़ बर्फबारी, ला नीना ने दिखाया असर, भीषण ठंड के लिए हो जाएं तैयार

Uttarakhand Weather: इस साल हिमालय में होने वाली बर्फबारी कई सालों के रिकॉर्ड तोड़ सकती है. जनवरी में ठंड का प्रकोप और बढ़ेगा, जिससे पहाड़ी इलाकों में व्यापक बर्फबारी देखने को मिलेगी.

Uttarakhand Weather Update: उत्तराखंड समेत पूरे देश में ठंड का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. पहाड़ी इलाकों में जहां बर्फबारी रिकॉर्ड तोड़ने की तैयारी में है, वहीं मैदानी इलाकों में शीतलहर ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है. मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले दिनों में सर्दी और तीव्र हो सकती है. इस साल ठंड के बढ़ने और मौसम में अचानक आए बदलाव का प्रमुख कारण 'ला नीना' को माना जा रहा है. जिसके प्रभाव के चलते न केवल बर्फबारी और बारिश में वृद्धि होगी, बल्कि इसका असर भारत के आगामी मानसून पर भी दिखेगा.

इस साल हिमालय में होने वाली बर्फबारी कई सालों के रिकॉर्ड तोड़ सकती है. जनवरी में ठंड का प्रकोप और बढ़ेगा, जिससे पहाड़ी इलाकों में व्यापक बर्फबारी देखने को मिलेगी. जिन स्थानों पर वर्षों से बर्फ नहीं गिरी थी, वहां भी बर्फबारी की संभावना जताई जा रही है. नैनीताल स्थित आर्यभट्ट विज्ञान शोध संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र ने बताया कि दिसंबर से ही मौसम में बदलाव के संकेत मिलने लगे थे. ला नीना के कारण पश्चिमी विक्षोभ पर गहरा प्रभाव पड़ा है, जिससे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में बर्फबारी ने नई ऊंचाइयां छू ली हैं.

ला नीना के असर से मौसम में बड़ा बदलाव
ला नीना प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान में गिरावट से जुड़ा हुआ है. इस घटना का प्रभाव वायुमंडलीय परिसंचरण जैसे हवा, दबाव और वर्षा पर पड़ता है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन का कहना है कि फरवरी 2025 तक ला नीना की प्रबलता 60 फीसद तक बढ़ सकती है. इसका सीधा असर भारत के उत्तरी भागों में अत्यधिक ठंड और लंबे समय तक बारिश के रूप में दिखता है.

ला नीना का प्रभाव कृषि क्षेत्र के लिए सकारात्मक माना जा रहा है. अच्छी बर्फबारी से पहाड़ों में फलों, सब्जियों और अन्य फसलों की पैदावार में सुधार होगा. उत्तराखंड में कई ऐसी फसलें हैं जो बर्फबारी पर निर्भर करती हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि अत्यधिक बर्फबारी से मिट्टी की नमी बनी रहेगी, जो कृषि के लिए फायदेमंद होगी. आगामी मानसून भी सामान्य से अधिक प्रभावी रहेगा. उत्तराखंड सहित पूरे भारत में भारी बारिश की संभावना है, जो जल संसाधनों को भरने और कृषि क्षेत्र को मजबूत करने में मदद करेगी.

मानसून भी सामान्य से अधिक रहने का अनुमान 
मौसम वैज्ञानिक मानते हैं कि बर्फबारी और बारिश में वृद्धि पर्यावरण के लिए लाभकारी है. यह हिमालय के ग्लेशियरों को स्थिर बनाए रखने और जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने में मदद करेगा. हालांकि, सामान्य जनजीवन पर इसका प्रभाव चुनौतीपूर्ण रहेगा. अत्यधिक बारिश बाढ़ और भूस्खलन जैसे खतरे भी बढ़ा सकती है. 

ला नीना का प्रभाव इस साल मौसम में कई बदलाव लेकर आया है। बर्फबारी, बारिश और ठंड के बढ़ते स्तर ने लोगों को परेशान किया है, लेकिन इसके पर्यावरण और कृषि क्षेत्र के लिए सकारात्मक पहलू भी हैं। आने वाले दिनों में ठंड का प्रकोप और बढ़ने की संभावना है, और इससे निपटने के लिए सरकार और आम जनता को तैयार रहना होगा.

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