Dehradun News: दिसंबर महीना ख़त्म होने को है, लेकिन अभी तक उत्तराखंड (Uttarakhand) के ऊपरी इलाकों में बर्फबारी नहीं हुई है. पिछले कई सालों में ये पहली दफा है जब इस तरह का मौसम उत्तराखंड में देखने को मिल रहा है. सबसे बड़ा नुकसान बागवानी और खेती के किसानों को उठाना पड़ रहा है. इतना ही नहीं ग्लेशियरों को बर्फ न मिलने और ऐसे में उनके रिचार्ज न होने से आने वाले समय में नदियों में भी एक जल संकट की पूरी संभावना है. 


पिछले कई सालों की बात करें तो नवंबर से दिसंबर में अभी तक कई बार उत्तराखंड के ऊपरी इलकों में बर्फबारी हो जाती थी, लेकिन साल 2022 के नवंबर और दिसंबर महीने में अभी तक बर्फबारी सिर्फ नाम को ही राज्य में देखने को मिली है. बड़ी बात यह है कि अभी आने वाले कुछ दिनों तक भी बर्फबारी का कोई अलर्ट उत्तराखंड में नहीं है. 


किसानों को हो रहा नुकसान
इसकी वजह से सबसे बड़ा नुकसान हिमालय के ग्लेशियरों की सेहत पर पड़ रहा है, क्योंकि बर्फबारी नहीं होने से हिमालय के ग्लेशियर को पर्याप्त बर्फ नहीं मिल पा रही है, तो वहीं बर्फबारी कम होने से किसानों की फसलें खासकर बागवानी करने वाले किसान और खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है.


जानकारों की मानें तो मौसम के इस बड़े चेंज होने की वजह ग्लोबल वार्मिंग है. चौंकाने वाली बात ये भी सामने आई है कि जहां एक ओर गर्मियों का समय बढ़ गया है तो वहीं सर्दियों के मौसम का समय घट रहा है. डॉ डीपी डोभाल कहते हैं कि सर्दियों के सीजन का समय कम होने की वजह पृथ्वी का तापमान बढ़ना है. पहाड़ पर बर्फबारी न होने से यहां स्नोफॉल का दीदार करने पहुंचने वाले पर्यटक भी मायूस हैं. वहीं किसानों को भी इससे बड़ा नुकसान हो रहा है.


कुल मिलाकर देखें तो समय के साथ बदलते मौसम ने आने वाले समय के लिए बड़ी चिंता पैदा कर दी है. एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर समय से अच्छी बर्फबारी नहीं होगी, तो ग्लेशियर रिचार्ज नहीं होंगे और ऐसे में नदियों पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ेगा. यानी की आने वाले कुछ सालों तक इसी तरह का मौसम रहा तो नदियों में जल संकट जैसी स्थिति से भी इंकार नहीं किया जा सकता. 


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