Uttarakhand News: उत्तराखंड में ठंड का सीजन शुरू होते ही जंगली जानवरों का आतंक शुरू हो गया है. पिछले दो महीनों में उत्तराखंड में जंगली जानवरों ने 11 लोगों की जान ली है. जिसके चलते जंगल के आसपास रहने वाले कई गांवों के ग्रामीण दहशत के साये में जीने को मजबूर हैं. वहीं, अब जंगली जानवरों के हमले को लेकर स्थानीय लोगों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है. ग्रामीण लगातार वन विभाग के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.
दो महीने में 11 लोगों की मौत
वन मुख्यालय में विशेष सेल का गठन भी किया गया था, जिसमें कई विभागों के विशेषज्ञ शामिल हैं. पिछले दो महीनों में 306 लोग वन्य जीवों के हमलों में घायल हुए हैं तो वहीं 11 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. भारतीय वन्यजीव संस्थान के पूर्व वैज्ञानिक व बाघ एक्सपर्ट डॉक्टर वाई पी झाला के अनुसार वन्य जीवों के हमले की घटना इसलिए बढ़ रही है क्योंकि प्रदेश भर में गुलदार, टाइगर और हाथियों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है.
अकेले गुलदार ने ली 6 की जान
इस वजह से जंगलों में स्पेस और खाने की सुविधा कम हो रही है. जिस कारण यह जानवर रिहायशी वाले क्षेत्र की तरफ रुख कर रहे हैं. जिससे इंसानों पर इनके हमले बढ़ रहे हैं. इसके अलावा जब फसलें बड़ी हो जाती हैं तब जानवर फसलों की आड़ लेकर आबादी में आ जाते हैं. अब तक जिन 11 लोगों की मौत हुई है, उनमें से 6 घटनाएं गुलदार के हमले से हुई हैं. जबकि 5 अन्य लोगों की मौत बाघ, भालू, या हाथी के हमले से हुई है.
इनमें भी अकेले 9 घटनाएं कुमाऊं में हुई हैं. नैनीताल, रामनगर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ और उधम सिंह नगर में सबसे ज्यादा घटनाएं हुई हैं. वन मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि वन्य जीव हमले को रोकने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है. वन महकमा लगातार कोशिश कर रहा है. हम कोशिश करेंगे कि वन्य जीवों के हमले की घटनाओं में तेजी से कमी आए.
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