उत्तराखंड में बनेगा हिमाचल जैसा मजबूत भू-कानून, कमेटी ने सीएम धामी को सौंपी 80 पन्नों की रिपोर्ट
Uttarakhand News: उत्तराखंड में भू-कानून के लिए गठित कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सीएम पुष्कर सिंह धामी को सौंप दी है. 80 पन्नों की इस रिपोर्ट में सरकार को भू कानून से संबंधित 23 सुझाव दिए गए हैं.
Uttarakhand News: उत्तराखंड में भू-कानून (Land Law) के लिए गठित की गई कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) को सौंप दी है. 80 पन्नों की इस रिपोर्ट (Report) में सरकार को भू कानून से संबंधित 23 सुझाव दिए गए हैं. इस रिपोर्ट में समिति ने अपनी संस्तुतियों में ऐसे बिंदुओं को सम्मिलित किया है जिससे राज्य में विकास के लिए निवेश बढ़े और रोजगार के अवसरों में वृद्धि हो. साथ ही भूमि का अनावश्यक दुरुपयोग रोकने की भी अनुशंसा की है.
उत्तराखंड में हिमाचल जैसा मजबूत भू-कानून
दरअसल उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 2022 से पहले राज्य के युवाओं द्वारा सोशल मीडिया में सशक्त भू कानून की मुहिम चलाई गई. राज्य में सभी लोगों की यही मांग है कि पहाड़ की जमीन बचाने के लिए सरकार एक सशक्त भू-कानून लाए जो हिमाचल की तरह मजबूत और पहाड़ की जमीनों के लिए सशक्त कानून के तौर पर नजर आए. जिसे लेकर सीएम धामी ने एक कमेटी का गठन किया था. जिसमें पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार को बतौर अध्यक्ष शामिल किया गया था इसके साथ ही बद्रीनाथ, केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय के साथ रिटायर्ड आईएएस अरुण कुमार ढौंडियाल और रिटायर्ड आईएएस डी एस गर्ब्याल को शामिल किया गया.
23 सुझावों की रिपोर्ट सौंपी
उत्तराखंड के सचिव राजस्व दीपेंद्र कुमार चौधरी बतौर सदस्य सचिव इस कमेटी में शामिल किए गए. इस कमेटी ने 80 पन्नों की अपने 23 सुझावों की रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सोमवार को सौंप दी है. भू कानून के लिए बनाई गई समिति ने प्रदेश हित में निवेश की संभावनाओं और भूमि के अनियंत्रित क्रय-विक्रय के बीच संतुलन स्थापित करते हुए अपनी 23 संस्तुतियां सरकार को दी हैं. मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि सरकार शीघ्र ही समिति की रिपोर्ट का गहन अध्ययन कर व्यापक जनहित व प्रदेश हित में समिति की संस्तुतियों पर विचार करेगी और भू-कानून में संशोधन करेगी.
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भूमि के क्रय-विक्रय का भी परीक्षण
जुलाई 2021 में सीएम पुष्कर धामी ने उच्च स्तरीय समिति गठित की. इस समिति को राज्य में औद्योगिक विकास कार्यों हेतु भूमि की आवश्यकता तथा राज्य में उपलब्ध भूमि के संरक्षण के मध्य संतुलन को ध्यान में रख कर विकास कार्य प्रभावित न हों, इसको ध्यान में रखते हुए विचार-विमर्श कर अपनी संस्तुति सरकार को सौंपनी थी. समिति ने राज्य के हितबद्ध पक्षकारों, विभिन्न संगठनों, संस्थाओं से सुझाव आमंत्रित कर गहन विचार - विमर्श कर लगभग 80 पृष्ठों में अपनी रिपोर्ट तैयार की है. इसके अलावा समिति ने सभी जिलाधिकारियों से प्रदेश में अब तक दी गई भूमि क्रय की स्वीकृतियों का विवरण मांग कर उनका परीक्षण भी किया.
समिति ने अपनी संस्तुतियों में ऐसे बिंदुओं को सम्मिलित किया है जिससे राज्य में विकास के लिए निवेश बढ़े और रोजगार के अवसरों में वृद्धि हो. साथ ही भूमि का अनावश्यक दुरूपयोग रोकने की भी अनुशंसा की है.
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