एबीपी गंगा, पुराने समय में गढ़वाल क्षेत्र में हर विवाह समारोह या फिर किसी भी शुभ कार्य के दौरान महिलाओं द्वारा मांगल गीतों को गाने की परम्परा थी। बदलते समय और आधुनिकिरण के साथ धीरे-धीरे ये परंपरा खत्म होने लगी है। समय बीतने के साथ आज इन मांगल गीतों की जगह हिंदी और पंजाबी गानों ने ले ली है।



देखा जाए, तो आज का युवा इन मांगल गीतों को लगभग पूरी तरह भूल चुका है। यहां तक कि कई युवा ऐसे भी हैं जिन्हें मांगल गीत क्या होते हैं। इसकी किसी को कोई जानकारी नहीं है। देवभूमि में आज के युवाओं की पहली पंसद बन चुके पांडवाज जल्द ही मांगल गीतों को नए कलेवर में सब के सामने लेकर आने वाले हैं। इन युवाओ का कहना है की आज मांगल गीत गुमनामी के अंधेरे में कहीं खो से गए हैं। ऐसे में खोते जा रहे मांगल गीतों को एक बार फिर से नया जीवन देने के लिए वह छोटा सा प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि फिलहाल अपने एलबम में उन्होंने 6 पौराणिक मांगल गीतों को चुना है। जिसे दिल्ली के कुछ नए युवा गायकों ने आवाज दी है।



इस एलबम की सबसे खास बात ये है, कि इसमें मंगल गीतों के बोल के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। बस इसे एक मॉर्डन बैकग्राउंड म्यूजिक दिया गया है। जिससे कि आज के युवा भी इन मंगल गीतों से जुड़ाव महसूस कर सके और वो भी इन मंगल गीतों को सुने। इस एलबम के माध्यम से उनका प्रयास है कि आने वाले समय में शादी-ब्याह के मौको पर प्रदेश के युवा पंजाबी या हिंदी गानों की जगह मंगल गीतों को सुनना ज्यादा पसंद करे।



गौरतलब है कि पौराणिक समय में महिलाओं द्वारा गाये जाने वाले मंगल गीत अब मेल वॉइस में आपको सुनने को मिलेंगे मंगल एलबम के रिलीज के संबंध में जानकारी देते बताया कि आने वाले दो-तीन दिनों में एलबम सभी डिजिटल प्लेटफॉर्म। जैसे युट्युब, आईटियून, और विभिन्न स्लाटो पर रिलीज कर दी जाएगी। फिलहाल ये एक ऑडियो म्यूजिक एलबम है। भविष्य में इसका एक पूरा वीडियो लांच करने की भी योजना है। जिसे श्री त्रियुगीनारायण मंदिर में शूट किया जायेगा। आपको बता दें कि प्रदेश का एक उभरता हुआ वेडिंग डेस्टिनेशन बनता जा रहा है। इससे पूर्व भी इन युवाओ द्वारा गढवाली सगीत के लिए बडे पैमाने पर मेहत्वपूर्ण एक्पेरिमेन्ट गढवाली कुमाउनी सगीत मे किए है। देश ही नही अपितु विदेष मे अप्रवासी उत्तराखण्डी इनके सगीत को पसन्द भीकरते है।