Uttarkashi News: दयारा बुग्याल में बटर फेस्टिवल को लेकर उत्साह, मक्खन-छाछ की अनोखी होली में शामिल होंगे सीएम धामी
Uttarkashi News: दयारा बुग्याल में एतिहासिक बटर फेस्टिवल को लेकर उत्साह देखा जा रहा है. इस आयोजन में खुद सीएम धामी शामिल होंगे. ग्रामीणों को लगता है कि सीएम के आने से विकास का पहिया चल पड़ेगा.
Uttarkashi News: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) बटर फेस्टिवल (BUtter Festival) में बतौर मुख्य अतिथि हिस्सा लेंगे. उनके साथ पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज (Satpal Maharaj), गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान भी पहुंचेंगे. इस बटर फेस्टिवल का आयोजन रैथल के ग्रामीण दयारा बुग्याल में पारंपरिक तरीके से किया जा रहा है. बटर फेस्टिवल को अढूंडी उत्सव के नाम से भी जाना जाता है. सीएम के आगमन को लेकर गांव के लोग बहुत खुश हैं. विकास खंड भटवाड़ी के ग्रामीणों को उम्मीद है कि सीएम के आने से भटवाड़ी ब्लाक में विकास का पहिया तेजी से चलने लगेगा.
बटर फेस्टिवल को लेकर ग्रामीणों में उत्साह
समुद्रतल से 11 हजार फीट की उंचाई पर 28 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले दयारा बुग्याल में रैथल के ग्रामीणों सदियों से भाद्रप्रद महीने की संक्रांति को दूध मक्खन मट्ठा की होली का आयोजन करते हैं. प्रकृति का आभार जताने के लिए आयोजित किए जाने वाले इस दुनिया के अनोखे उत्सव को रैथल गांव की दयारा पर्यटन उत्सव समिति व ग्राम पंचायत बीते कई सालों से बड़े पैमाने आयोजित कर रही है, जिससे देश विदेश के पर्यटक इस अनूठे उत्सव का हिस्सा बन सके.
बेहद भव्य आयोजन की तैयारी
इस बार पारंपरिक रूप से दयारा बुग्याल में बटर फेस्टिवल को भव्य रूप से आयोजित करने का फैसला लिया गया. दो वर्षों से कोरोना संकट के चलते बटर फेस्टिवल का आयोजन ग्रामीणों द्वारा अपने स्तर पर ही परंपराओं का निर्वहन करते हुए बेहद सूक्ष्म स्तर पर किया गया था लेकिन इस साल होने वाले आयोजन में प्रदेश के मुख्यमंत्री और पर्यटन मंत्री दयारा बुग्याल में शिरकत करेंगे. ग्रामीण देश विदेश से आने वाले मेहमानों के साथ मक्खन-मट्ठा की होली खेलेंगे.
मक्खन और छाछ से खेली जाती है अनोखी होली
रैथल के ग्रामीण गर्मियों की दस्तक के साथ ही अपने मवेशियों के साथ दयारा बुग्याल समेत गोई चिलापड़ा में बनी अपनी छानियों में ग्रीष्मकालीन प्रवास के लिए पहुंच जाते हैं. उंचे बुग्यालों में उगने वाली औषधीय गुणों से भरपूर घास व अनुकूल वातावरण का असर दुधारू पशुओं के दुग्ध उत्पादन पर भी पड़ता है. ऐसे में ऊंचाई वाले इलाकों में सितंबर महीने से होने वाली सर्दियों की दस्तक से पहले ही ग्रामीण वापस लौटने से पहले अपनी व अपने मवेशियों की रक्षा के लिए प्रकृति का आभार जताने के लिए इस अनूठे पर्व का आयोजन करते हैं.
स्थानीय स्तर पर इसे अढूंडी पर्व के नाम से जाना जाता है. इस बटर फेस्टिवल में समुद्र तल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर ताजे मक्खन व छाछ से होली खेली जाती है.
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