उत्तरकाशी मस्जिद विवाद: हाईकोर्ट ने सुरक्षा पर मांगा जवाब, सरकार ने कहा- महापंचायत के लिए नहीं दी अनुमति
Uttarkashi Masjid Controversy: राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा कि प्रशासन के द्वारा एक दिसंबर को होने वाली महापंचायत के लिए अनुमति नहीं दी गई है. इलाके में शांति व्यवस्था के लिए पुलिस अलर्ट है.
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Uttarkashi Masjid Controversy: नैनीताल हाईकोर्ट में बुधवार को उत्तरकाशी के भटवाड़ी रोड़ पर स्थित मस्जिद विवाद को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए जिलाधिकारी और एसपी उत्तरकाशी को कानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ कोर्ट को अवगत कराने का निर्देश दिए. इस मामले पर अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होनी है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मस्जिद के विरोध में 1 दिसंबर को होने वाली महापंचायत पर रोक लगाने की मांग की थी.
हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान याचिककर्ता ने कहा कि इस मस्जिद के विरोध में एक दिसंबर को महापंचायत होने जा रही है, जिस पर रोक लगाई जाए. उन्होंने कहा कि मस्जिद पूरी तरह से वैध है. महापंचायत के दौरान मस्जिद को नुकसान हो सकता है.
राज्य सरकार ने कोर्ट में रखा अपना पक्ष
इस पर राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में दलील दी गई है. प्रशासन के द्वारा एक दिसंबर को होने वाली महापंचायत के लिए अनुमति नहीं दी गई है. इलाके में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस अलर्ट है. उत्तरकाशी की पुलिस दिन-रात गश्त कर रही है. इलाके में हालात पूरी तरह से सामान्य है. जिसके बाद कोर्ट ने उत्तरकाशी के डीएम और एसपी को क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिए.
बता दें कि उत्तरकाशी की मस्जिद को लेकर छिड़े विवाद के बीत अल्पसंख्यक सेवा समिति ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर दी है, जिसमें समिति ने कहा कि बीते 24 सितंबर को कुछ संगठनों ने सुन्नी समुदाय की मस्जिद को अवैध बताया है जिसके बाद से मस्जिद को ध्वस्त करने की धमकी दी जा रही है. इस विवाद के चलते इलाके में दोनों समुदायों के बीच तनाव की स्थिति बन गई है.
याचिकाकर्ता ने कहा कि ये मस्जिद वैध तरीके से बनाई गयी है. इसके लिए साल 1969 में जमीन खरीदी गई थी, जिस पर ये मस्जिद बनाई गई. साल 1986 में वक्फ कमिश्नर ने इसका निरीक्षण भी किया था, जिसमें भी ये मस्जिद वैध पाई गई. याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में कहा कि इस तरह के बयान देना सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का उल्लंघन है जिसमें कोर्ट ने राज्यों को आदेश दिया है कि अगर किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयान दिया जाता है तो राज्य सरकार उस पर सीधा मुकदमा दर्ज करे.
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