Uttarkashi Avalanche: ग्लेशियर वैज्ञानिक ने सामान्य से ज्यादा बारिश को बताई एवलांच की वजह, कहा- सरकार को ध्यान देने की जरूरत
Uttarkashi News: हिमालय पर शोध करने वाले वैज्ञानिक डॉ डीपी डोभाल का कहना है कि हिमालय पर लगातार हो रहे इन बदलावों पर सरकार को भी ध्यान देने की जरूरत है
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Uttarkashi News: हिमालय से लगातार आ रहे एवलांच (Avalanche) एक बड़ी चेतावनी दे रहे हैं. नेपाल से लेकर उत्तराखंड तक एक सप्ताह के भीतर लगातार 5 एवलांच आए. जिसमें कई लोगों की जान तो गयी ही लेकिन ग्लेशियर वैज्ञानिकों के अनुसार ये सारी घटनाएं एक दूसरे से जुड़ी हुई है और इन को बिल्कुल भी हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए. उत्तरकाशी द्रौपदी में आए एवलांच की हिमालय क्षेत्र की पहली घटना नहीं है. दरअसल, पिछले एक हफ्ते में हिमालय में कई ऐसे एवलांच आ चुके हैं.
'सामान्य से ज्यादा बारिश एवलांच की वजह'
ग्लेशियर वैज्ञानिक डॉ डीपी डोभाल के अनुसार हिमालय में इस तरह के एवलांच आना सामान्य बात है. हिमालय पर लगातार बड़ी संख्या में आ रहे एवलांच की वजह सामान्य से ज्यादा हुई बरसात बताई है. उनका मानना है कि इस बार उत्तराखंड में मानसून सीजन में सामान्य से 22 फ़ीसदी ज्यादा बरसात रिकॉर्ड की गयी है जिसकी वजह से निचले इलाकों में बरसात होने पर उच्च हिमालाई क्षेत्र में बर्फबारी उतनी ही मात्रा में ज्यादा होती है. जिसके बाद हिमालय के ग्लेशियरों पर ताजी बर्फ की मात्रा बेहद ज्यादा बढ़ जाती है. ग्लेशियर पर बर्फ केयरिंग कैपेसिटी से ज्यादा होने पर यह बर्फ नीचे गिरने लगती है जो कि एवलांच का रूप ले लेती है.
'बदलावों पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत'
हिमालय पर शोध करने वाले वैज्ञानिक डॉ डीपी डोभाल का कहना है कि हिमालय पर लगातार हो रहे इन बदलावों पर सरकार को भी ध्यान देने की जरूरत है और जिस तरह से लगातार हिमस्खलन हो रहे हैं. उस पर सरकार को जरूरत है कि एक गाइडलाइन तैयार की जाए और उचित एडवाइजरी और सेफ्टी मेजरमेंट के साथ ही उच्च हिमालयी क्षेत्रों में एक मानवीय गतिविधि की जाए.
डॉ डीपी डोभाल ने आगे कहा कि वहां पर नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग के ट्रेनी दल को भेजने से पहले मौसम का पूर्वानुमान लेना चाहिए था. लगातार मौसम खराब था उसके बावजूद भी वहां पर शिक्षकों को भेजा गया जो कि अपने आप में एक सबसे बड़ी लापरवाही है. मानसून सीजन में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हुई बर्फबारी बेहद हल्की और पिघलने वाली होती है इसलिए जुलाई से लेकर सितंबर तक बर्फीले इलाकों में माउंटेनियरिंग बेहद जोखिम भरा है और इस संबंध में आपदा प्रबंधन विभाग के अलावा सरकार को भी एडवाइजरी जारी करनी चाहिए.
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