Uttarkashi : टिहरी जिले के पौनाडा (Paunada) गांव के मंदिर में 12 साल तक तपस्या करने के बाद दुध्याड़ी देवी भक्तों के दर्शन को बाहर निकली हैं. जिले के सैकड़ों गांवों का करीब 37 दिन तक पैदल सफर करते हुए गुरुवार को दुध्याड़ी देवी उत्तरकाशी जिले की सीमा पर स्थित ब्रह्मपुरी (Brahmpuri) गांव पहुंचीं, जहां गाजणा पट्टी के गांवों से  सैकड़ों भक्तों की भीड़ उनके दर्शन को उमड़ पड़ी. भक्तों ने देवी का फूल-मालाओं से भव्य स्वागत किया और मन्नतें मांगीं. इस दौरान देवी ने पंचों को ब्रह्मपुरी में देवी का मंदिर बनाने की सहमति दी.


उत्तराखंड को देवभूमि यूं ही नहीं कहते हैं. यहां के कण-कण में देवी-देवता वास करते हैं. यहां की देव डोलियां हो या फिर पशुवा (मनुष्यों में देवता के रूप में अवतरित होने वाले) का अपना अलग महत्व है. ऐसा ही अलग उदाहरण टिहरी जिले के गोनगढ़ पट्टी के पौनाड़ा गांव की दुध्याड़ी देवी का है. देवी अपने मंदिर और उसमें बनी गुफा में 12 साल तक तपस्या पूरी करने के बाद दिसंबर माह में भक्तों को दर्शन देने को बाहर निकली थीं.


भक्तों ने देवी की पूज-अर्चना कर मांगा आशीर्वाद
मेले के बाद देवी ने क्षेत्र के बालगंगा, आगर, बासर पट्टी के गांवों से होते हुए करीब 37 दिन की पैदल यात्रा के बाद अपने मायके यानी उत्तरकाशी जिले में प्रवेश किया. यहां स्थानीय देवी दुध्याड़ी की डोली, गुरु चौरंगीनाथ, नरसिंह देवता, जगदेऊ देवता और नागराजा देवता के निशान के साथ भक्तों ने भव्य स्वागत किया. इस दौरान गांव में देश-विदेश से जुटे सैकड़ों भक्तों ने देवी की पूजा-अर्चना की. उन्हें मंडाण लगाया और पिटाई लगाकर विदा किया. इसके बाद पंचायती चौक पर देवी के दर्शन के लिए गाजणा पट्टी के कई गांवों से भक्तों का सैलाब उमड़ा. गांवों के लोगों ने देवी से सुख, समृद्धि और शांति की कामना करते हुए मन्नतें मांगीं. गांव में युवा मंडल ने देवी के स्वागत में अहम भूमिका निभाई.


मकर संक्रांति पर उत्तरकाशी में करेंगी स्नान
जानकारी हो कि साध्वी दुध्याड़ी देवी मकर संक्रांति पर्व पर मणिकर्णिका घाट पर माघ मेले में गंगा स्नान करेंगी. इसके बाद देवी उत्तरकाशी बाजार में भक्तों को दर्शन देंगी और उजेली होते हुए गाजणा पट्टी के दिखोली और सिरी गांव होते हुए अपने मंदिर की तरफ बढ़ेंगी, जहां वे भगवात महायज्ञ के बाद फिर 12 साल के लिए मंदिर में विराजमान हो जाएंगी.


भक्तों के दर्शन को 12 साल बाद आती हैं देवी
टिहरी जिले के पौनाड़ा गांव में दुध्याड़ी देवी की यात्रा, मेला समिति के अध्यक्ष पूरब सिंह बताते हैं कि देवी 12 साल तक मंदिर के गर्भगृह में तपस्या करती हैं. इसके बाद मंदिर के गर्भगृह से भक्तों के दर्शन को बाहर आती हैं. उन्होंने बताया कि भक्तों की देवी पर अपार आस्था है. देवी भी भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. उन्होंने कहा कि दुध्याड़ी देवी जैसी यात्रा पूरे देशभर में कहीं नहीं होती है.


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