Uttarakhand News: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले की निर्माणाधीन सिल्कयारा टनल में फंसे मजदूरों का रेस्क्यू ऑपरेशन तो समाप्त हो गया है लेकिन इसे लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं. इस रेस्क्यू ऑपरेशन को पूरा करने में अमेरिकी ऑगर मशीन का अहम योगदान रहा. जिसने 48 मीटर तक खुदाई करने के साथ-साथ टनल में 60 मीटर तक पाइप पहुंचाया. जिसके जरिए इन मजदूरों को इस खौफनाक टनल से बाहर निकाला गया.


अब यह ऑपरेशन पूरा होने के बाद ऑगर मशीन संचालक कंपनी ट्रेंचलेस इंजीनियरिंग सर्विस के मैकेनिकल इंजीनियर ने ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार यानी (जीपीआर) पर सवाल उठाए हैं. अभियान के दौरान जब यह रिपोर्ट आई थी तब बचाव दल में उत्साह का संचार हुआ था और रिपोर्ट के बारे में अधिकारियों ने मीडिया को भी जानकारी दी थी लेकिन अब इस रिपोर्ट पर सवाल खड़े हो गए हैं क्योंकि रिपोर्ट पूरी तरह से गलत पाई गई है.


जीपीआर के मलबे को किया था स्कैन


ट्रेचलेस इंजीनियरिंग के मैकेनिक इंजीनियर शंभू मिश्रा कहते हैं कि 23 नवंबर को जीपीआर के जरिए मलबे को स्कैन किया गया था, फिर 24 नवंबर को नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी ने उन्हें जीपीआर की रिपोर्ट दी. जिसमें सॉफ्टवेयर पर बताया गया की सुरंग में 5.4 मीटर तक कोई भी मेटल या सरिया नहीं है और इस रिपोर्ट को सही मान लिया गया.


लोटे से टकराकर कट गया था ऑगर मशीन का कुछ हिस्सा


इस रिपोर्ट के आधार पर काम शुरू किया गया, रिपोर्ट पर विश्वास करते हुए ऑपरेटर ने अमेरिकन ऑगर मशीन को चलाया गया लेकिन करीब 1 मीटर ड्रिल करने के दौरान ही मशीन का हेड बीड और उसके कट्टर लोहे के जाल में फंस गए और उसे बाद में काटकर बाहर निकलना पड़ा इससे रस्क्यू ऑपरेशन रुक गया था.


करोड़ों के नुकसान के साथ दांव पर थी कई जिंदगी


वहीं इस सब में लगभग 1 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है. ड्रिल के कट्टर हेड और बीड को कटकर निकालने के दौरान कंपनी के कर्मचारियों को अपनी जान भी जोखिम में डालनी पड़ी थी. आपको बता दें इस मशीन को यहां लाने के लिए वायु सेवा के विमान का इस्तेमाल करना पड़ा था. इस मशीन के पुर्जे तीन हरक्यूलिस विमान के जरिए चिन्यारी छोड़ पहुंचाए गए थे. उसके साथ इस मशीन को चलाने वाले 30 कर्मचारियों को भी यहां पर लाया गया था जिनके द्वारा इस मशीन को चलाया जा रहा था. ऐसे में समय एक करोड़ का नुकसान तो हुआ ही समय की बर्बादी भी हुई.


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