Shravasti News: उत्तरकाशी में सुरंग हादसे पर 17 दिनों तक चला रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो गया है. कुल 41 मजदूरों में 6 श्रावस्ती जिले के फंसे थे. श्रावस्ती के छह मजदरों को भी सुरंग से सुरक्षित निकाल लिया गया है. मौत को मात देकर सुरंग से निकले बेटों की एक झलक पाने को परिजन बेताब हैं. परिजनों का हर पल बेचैनी में गुजर रहा है. सही सलामत बाहर आने की खबर सुनकर ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं है. गांव में शुरू हुआ जश्न बुधवार सुबह तक जारी रहा. सिलक्यारा सुरंग में श्रावस्ती के राम मिलन और अंकित समेत छह श्रमिक फंसे थे. राम मिलन के बेटे संदीप कुमार ने बुधवार को 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि मंगलवार रात सुरंग में फंसे श्रमिकों के बाहर निकलने की पहली खबर सुनकर लोग घरों से बाहर निकल आए.


श्रावस्ती जिले को है छह मजदूरों का इंतजार


देर रात तक आतिशबाजी हुई, लोगों ने दीये जलाकर और एक दूसरे को मिठाई खिलाकर दीपावली मनाई. कुमार ने बताया कि गांव में जबदहा बाबा और प्रभुनाथ बाबा के दो मंदिर हैं. रात में मंदिरों के कपाट बंद होने पर बाहर से पूजा अर्चना की गई. बुधवार सुबह मंदिरों के कपाट खुलने पर भगवान का धन्यवाद देते लोग दिखाई दिए. सुरंग में फंसे रहे श्रावस्ती के सभी श्रमिक सुरक्षित बताये जाते हैं. सभी उत्तराखंड के अस्थायी शिविर चिकित्सालय में भर्ती हैं. परिवारों ने केंद्र, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार की सराहना करते हुए धन्यवाद दिया है.


सुरंग से निकलने के बाद अस्पताल में हैं भर्ती


 उत्तरकाशी से 800 किलोमीटर दूर नेपाल सीमा पर मौजूद श्रावस्ती के मोतीपुर कला गांव में सत्रह दिनों से आशा और निराशा का माहौल था. श्रमिकों के परिजन टीवी और सोशल मीडिया पर लगातार आ रहे सकारात्मक संकेतों के आधार पर अच्छे नतीजों की उम्मीद लगाए थे. कुमार ने बताया कि मंगलवार शाम जैसे-जैसे बचाव अभियान की सफलता के संकेत आ रहे थे और सुरंग के बाहर लोगों की भीड़ बढ़ रही थी वैसा ही कुछ माहौल गांव में भी था. आसपास रहने वाले रिश्तेदार और अन्य लोग खासतौर पर थारू बिरादरी के लोग घरों में टीवी स्क्रीन पर नजरें गड़ाए बैठे थे. उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य समन्वयक अरूण मिश्र ने बुधवार को सुबह उत्तरकाशी से फोन पर 'पीटीआई-भाषा' को बताया, 'हम लोग इस समय उत्तरकाशी हवाई पट्टी के नजदीक चिन्यालीसौड़ नामक जगह पर बनाए गए अस्थाई अस्पताल में मौजूद हैं.


अस्पताल में भर्ती उत्तर प्रदेश के आठों श्रमिक पूरी तरह से स्वस्थ हैं. सभी श्रमिकों को आज ऋषिकेश स्थित एम्स में ले जाया जाएगा. मानसिक रोग विभाग में श्रमिकों की मनोवैज्ञानिक जांच होगी. गुरुवार को अस्पताल से छुट्टी मिलने की उम्मीद है. मिश्र ने बताया कि पिछले 17 दिनों से सुरंग में उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर का रहने वाला श्रमिक अखिलेश सबसे ज्यादा सक्रिय था. बाहर से दिए जा रहे निर्देशों के अनुसार, सभी श्रमिकों को योगासन कराता था. बाहर निकलने पर लखीमपुर के मंजीत से पिता लिपटकर रोने लगे. रोने से मना करने पर पिता ने कहा कि अभी तक हम नहीं रोए थे लेकिन अब आंसू नहीं रूक रहे.'


उन्होंने बताया कि श्रावस्ती के सभी छह श्रमिक पूरी तरह स्वस्थ हैं. सभी अपने पैरों पर चलकर बाहर निकले थे और अब जल्दी घर वापस जाना चाहते हैं. मिश्र ने बताया कि बचाव अभियान समाप्त होने के बाद उन्होंने श्रावस्ती के श्रमिक राम मिलन से बात की. उसने कहा, 'साहब, हमें लाग कि हम दूसर जिंदगी पाए गएन.' उन्होंने बताया, ''बचाव अभियान के दौरान फोन पर हमारी रोज किसी ना किसी श्रमिक से बात होती थी.


सुरंग में फंसे श्रावस्ती के श्रमिक अंकित से एक बार जब हमने कहा कि 'हिम्मत बनाए रखना' तो अंकित का जवाब था कि 'हिम्मत के बल पर ही तो हम इतने दिनों से जिंदा हैं.' फिलहाल श्रावस्ती के मोतीपुर कला गांव में जश्न और उल्लास का माहौल कायम है. ग्रामीणों का कहना है कि मजदूरों के लौटने पर एक बार फिर दीए, आतिशबाजी और मिठाइयों के साथ दीवाली मनाएंगे. 12 नवंबर को यमुनोत्री मार्ग पर निर्माणाधानी सुरंग बंद हो जाने के चलते 41 मजदूर फंस गये थे. करीब 17 दिन तक चले बचाव अभियान के बाद मंगलवार रात मजदूरों को बाहर निकाला जा सका.


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