Uttarakhand Biggest Natural Disasters: उत्तरकाशी के बड़कोट में निर्माणाधीन टनल में फंसे चालीस मजदूरों की जिंदगी बचाने के लिए तीन दिनों से लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ समेत तमाम टीमें मलबा हटाने में जुटी हुई हैं. इस चट्टान की मिट्टी भुरभुरी है, जिसकी वजह से मलबा हटाते समय लगातार ऊपर से मलबा गिर रहा है, जिसके चलते रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कत आ रही है. हालांकि टनल में फंसे मजदूर सुरक्षित हैं. वॉकी टॉकी के जरिए उनसे संपर्क हुआ है. ये पहली बार नहीं है जब उत्तराखंड इस तरह की आपदा का सामना कर रहा है. पिछले तीन दशकों में प्रदेश में कई ऐसी घटनाएं हुईं जिन्हें याद कर आज भी दिल सहम जाता है. इस साल राज्य में बाढ़ ने भी तबाही मचाई थी.
चमोली में ट्रांसफॉर्मर फटा
इसी साल 2023 जुलाई महीने में चमोली जिले में अलकंनंदा नदी के किनारे ट्रांसफॉर्मर फट जाने से पूरा प्रदेश हिल गया था. ये हादसा प्रोजेक्ट में बने ब्रिज में करंट आने की वजह से हुआ था. इसमें 15 लोगों की मौत हो गई थी और 7 लोग घायल हो गए थे. पहले एक जल कर्मचारी करंट की चपेट में आया और फिर एक के बाद एक कई लोग झुलसते चले गए. मारे गए लोगों में 4 पुलिसकर्मी भी थे.
जोशीमठ की जमीन में आई दरार
जनवरी 2023 जोशीमठ में भूधंसाव की खबरों ने तमाम भू-वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया था. जोशीमठ में कई जगहों पर जमीन में बड़ी-बड़ी दरारें देखी गईं, कई घरों में दरारें आ गईं, जिसके बाद लोग बुरी तरह घबरा गए थे. इसकी वजह से सैकड़ों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा और उन्हें अस्थायी शिविरों में शरण लेनी पड़ी. यहां के 700 से ज्यादा मकानों में दरारें आ गईं थीं.
2022 में उत्तरकाशी में एवलांच
अक्टूबर 2022 में उत्तरकाशी के ही भटवाड़ी प्रखंड में द्रौपदी के डांडा-2 पर्वत शिखर पर एवलांच आया था, इसकी चपेट में निम के 34 पर्वतारोहियों का दल आ गया था, इस हादसे में 25 ट्रेनियों और 2 प्रशिक्षकों की मौत हो गई थी.
2013 में केदारनाथ आपदा
केदरनाथ की आपदा तो उत्तराखंड के इतिहास की सबसे भयावह घटना थी, जब अलकनंदा नदी की लहरों की चपेट में आकर हजारों लोगों की मौत हो गई थी. किसी को संभलने का मौका तक नहीं मिला, लोग वहीं दफन हो गए. आज भी यहां लोगों के नरकंकाल मिल जाते हैं.
1991 उत्तरकाशी भूकंप
अविभाजित उत्तर प्रदेश में अक्टूबर 1991 में 6.8 तीव्रता का भूकंप आया. इस आपदा में कम से कम 768 लोगों की मौत हुई और हजारों घर तबाह हो गए.
वर्ष 1998 माल्पा भूस्खलन
पिथौरागढ़ जिले का छोटा सा गांव माल्पा भूस्खलन के चलते बर्बाद हुआ. इस हादसे में 55 कैलाश मानसरोवर श्रद्धालुओं समेत करीब 255 लोगों की मौत हुई. भूस्खलन से गिरे मलबे के चलते शारदा नदी बाधित हो गई थी.
वर्ष 1999 चमोली भूकंप
चमोली जिले में आए 6.8 तीव्रता के भूकंप ने 100 से अधिक लोगों की जान ले ली. पड़ोसी जिले रुद्रप्रयाग में भारी नुकसान हुआ था. भूकंप के चलते सड़कों एवं जमीन में दरारें आ गई थीं.