Uttarkashi Tunnel Collapse Update: उत्तराखंड में सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों का बचाव अभियान लगातार जारी है. वहीं इस रेसक्यू ऑपरेशन में एक महत्वपूर्ण कामयाबी मिली है, टनल के अवरूद्ध हिस्से में ‘ड्रिलिंग’ कर मलबे के आर-पार 53 मीटर लंबी छह इंच व्यास की पाइपलाइन डाल दी. इसके जरिए पिछले आठ दिनों से सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को ज्यादा मात्रा में खाद्य सामग्री, संचार उपकरण तथा अन्य जरूरी वस्तुएं पहुंचाई जा सकेंगी. 


वहीं उत्तरकाशी सुरंग हादसे पर कर्नल दीपक पाटिल ने बताया, "150 एमएम व्यास की पाइपलाइन स्थापित की गई है. हम इससे सुरंग के अंदर फंसे लोगों को खाना, मोबाइल और चार्जर भेजेंगे. हम अंदर वाईफाई कनेक्शन लगाने की भी कोशिश करेंगे. डीआरडीओ के रोबोट भी काम कर रहे हैं. इससे पहले, श्रमिकों तक आक्सीजन, हल्की खाद्य सामग्री, मेवे, दवाइयां और पानी पहुंचाने के लिए चार इंच की पाइप का इस्तेमाल किया जा रहा था. दूसरी 'लाइफ लाइन' कही जा रही इस पाइपलाइन के जरिए अब श्रमिकों तक रोटी और सब्जी भी भेजी जा सकेगी.


वहीं NHIDCL के निदेशक अंशू मनीष खलखो ने बताया, "DRDO ने 20 किलो और 50 किलो वजन के 2 रोबोट भेजे हैं. ये रोबोट धरती पर चलकर आगे जाते हैं लेकिन वहां की जमीन रेत की तरह है. मुझे आशंका है कि रोबोट वहां चल पाएंगे या नहीं. फिर भी हम कोशिश करेंगे, ड्रीलिंग के लिए सारी मशीन आ रही हैं. एक-दो दिन में यहां पहुंच जाएंगी. BRO सड़क बना रही है, मशीनें बहुत भारी हैं, उन्हें हवाई मार्ग से नहीं लाया जा सकता, उन्हें सड़क के रास्ते लाना पड़ेगा."


राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के निदेशक अंशु मनीष खाल्को, उत्तरकाशी के जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला और सुरंग के भीतर संचालित बचाव अभियान के प्रभारी कर्नल दीपक पाटिल ने संयुक्त रूप से  मीडिया को यह जानकारी दी. खाल्को ने कहा कि पिछले कई दिनों से चल रहे बचाव अभियान की यह 'पहली कामयाबी' है और इसके बाद श्रमिकों को जल्द से जल्द सुरक्षित निकालने के प्रयास तेजी से जाएंगे. उन्होंने कहा, "हमने मलबे के दूसरी ओर तक 53 मीटर की पाइप भेज दी है और (अंदर फंसे) श्रमिक अब हम सुन सकते हैं और महसूस कर सकते हैं."


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