Uttarkashi Tunnel Collapse: सुरंग में फंसे मजदूरों के रेस्क्यू में आ रही अड़चनें, जानें- अभी कितनी ड्रिलिंग बाकी
Uttarakhand Tunnel Accident: उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल धंसने से 41 श्रमिक उसमें फंस गए थे. जिन्हें बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. उम्मीद है कि आज मजदूरों को निकाला जा सकता है.
Uttarkashi Tunnel Rescue Opeation: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढहने से उसमें फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर ऑपरेशन चल रहा है. शनिवार को इन 41 श्रमिकों को सुरंग में फंसे 14 दिन हो गए. 12 नवंबर को दीवाली वाले दिन हुए हादसे और उसके बाद चलाए गए बचाव अभियान के दौरान कई रुकावटें आई हैं. शुक्रवार रात को फिर 47 मीटर पर ड्रिलिंग रूक गई. अभी करीब दस मीटर तक और ड्रिलिंग शेष है.
टनल में नौवां पाइप ड्रिल किया जा रहा है. लेकिन कुछ परेशानियों के कारण ड्रिलिंग रोक दिया गया है. एनएचआईडीसीएल के महाप्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल ने बताया कि मशीन के आगे बार-बार लोहे की चीजें आने से कार्य प्रभावित हो रहा है. अभी 47 मीटर तक ड्रिलिंग हुई है. करीब दस मीटर तक और ड्रिलिंग शेष है. दूसरी तरफ सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सिलक्यारा पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया. उन्होंने कहा कि यह अत्यंत चुनौतीपूर्ण और जोखिम भरा रेस्क्यू अभियान है. इस रेस्क्यू ऑपरेशन में टीमें पूरी दक्षता और क्षमता से लगी हुई हैं.
हाथ से ड्रिलिंग पर कर रहे विचार
श्रमिकों को निकालने के लिए ऑगर मशीन से ड्रिलिंग के दौरान बार-बार आ रही बाधाओं के कारण बचावकर्ता हाथ से ड्रिलिंग करने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं. एक अधिकारी ने बताया कि ऑगर मशीन शुक्रवार को ड्रिलिंग बहाल होने के कुछ देर बाद स्पष्ट रूप से किसी धातु की वस्तु के कारण बाधित हो गई. उन्होंने कहा कि लगातार आ रही बाधाओं के कारण ऑगर मशीन से ड्रिलिंग और मलबे के बीच इस्पात का पाइप डालने का काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है. श्रऐसे में हाथ से ड्रिलिंग करने पर विचार किया जा रहा है. लेकिन इसमें समय अधिक लगता है.
दीवाली के दिन हुआ था हादसा
बता दें कि, 12 नवंबर को दीवाली वाले दिन सुबह करीब साढ़े पांच बजे निर्माणाधीन सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था जिसमें 41 श्रमिक फंस गए थे. जिसके बाद उत्तरकाशी जिला प्रशासन द्वारा बचाव कार्य शुरू किया गया और कंप्रेशर से दबाव बनाकर पाइप के जरिए फंसे श्रमिकों के लिए आक्सीजन, बिजली और खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई गयी.
उसी दिन राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), उत्तराखंड राज्य आपदा प्रतिवादन बल, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) और परियोजना का निर्माण करने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम (एनएचआइडीसीएल) और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) समेत विभिन्न एजेंसियां बचाव अभियान में शामिल हुईं.
वीडियो में सुरक्षित दिखे थे मजदूर
बीती 21 नवंबर को बचावकर्मियों ने सुरंग में फंसे श्रमिकों के सकुशल होने का पहला वीडियो जारी किया था. सफेद और पीला हेल्मेट पहने श्रमिक पाइप के जरिए भोजन प्राप्त करते और एक दूसरे से बातचीत करते दिखाई दिए थे. सुरंग के बाहर एंबुलेंस को खड़ा किया गया. इसके अलावा, घटनास्थल से 30 किलोमीटर दूर चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 41 बिस्तरों का विशेष वार्ड बनाया गया. शुक्रवार को बाधाओं को दूर कर 25 टन वजनी ऑगर मशीन से ड्रिलिंग फिर शुरू हुई. लेकिन कुछ देर बाद फिर लोहे का सरिया सामने आने से ड्रिलिंग रूक गयी.
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