Uttarkashi Tunnel Rescue Highlights: टनल में फंसे मजदूरों का रेस्क्यू ऑपरेशन तेज, अधिकारी बोले- अंदर फंसे मजदूर स्वस्थ, मानसिक हालत भी ठीक
Uttarkashi Tunnel Collapse Rescue Highlights: उत्तरकाशी में 12 नवंबर की सुबह से 41 मजदूर टनल में फंसे हुए हैं. इन्हें बचाने के लिए चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में लगातार रुकावटें आ रही हैं.
उत्तरकाशी सुरंग हादसे में फंसे हुए श्रमिकों के लिए भोजन तैयार किया जा रहा है. कुक संजीत राणा ने बताया, "उन्हें(श्रमिक) कम मिर्ची, कम मसालेदार और कम तेल वाला खाना दिया जा रहा है... पाइप छोटा है इसलिए इतना खाना दिया जा रहा है जो आसानी से अंदर तक जा सके."
अपर सचिव तकनीकी, सड़क एवं परिवहन महमूद अहमद ने बताया कि हमने पांच-छह एजेंसियों को इकट्ठा किया है. हर एजेंसी को स्पेसिफिक टास्क दिया गया है. इन सब एजेंसी के बीच तालमेल रहे इसके लिए हमारी टीम यहां से मोनिटर कर रही है. हमारी कोशिश है कि जल्द से जल्द अंदर जो हमारे भाई (मजदूर) फंसे हैं उनको बाहर निकाल लें. NHIDCL ने खाना, दवाइयां और ऑक्सीजन की व्यवस्था की है. अंदर पूरे तौर पर से बिजली की सप्लाई है. दो किलोमीटर जगह वहां पर बिल्कुल साफ है क्योंकि टनल बना हुआ था. हमने उनसे बातचीत की है और वीडियो भी ले पाए हैं. हमें पता चला कि वो तंदुरुस्त हैं और उनकी मानसिक हालत भी ठीक है. इस बात से हमें भी बहुत ज्यादा उत्साह हुआ.
सुरंग में फंसे श्रमिकों के सिलक्यारा में मौजूद रिश्तेदारों ने मंगलवार को मलबे में छह इंच व्यास के चौड़े पाइप के डाले जाने से उसके जरिए बातचीत करने में आसानी होने से कुछ राहत महसूस की . सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों में शामिल अपने देवर प्रदीप किस्कू की कुशल क्षेम जानने के लिए बिहार के बांका से सिलक्यारा पहुंची सुनीता हेम्ब्रम ने बताया, 'मैंने उनसे सुबह बात की . नए पाइप से उन्हें संतरे भेजे गए हैं. वह ठीक हैं.'
ये पूछे जाने पर कि क्या आने वाले समय में उत्तरकाशी सुरंग घटना की जांच की जाएगी, उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कार्रवाई जरूर की जाएगी लेकिन अभी प्राथमिकता सभी श्रमिकों को सुरक्षित बाहर लाने की है.
सिल्कयारा सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों के परिवार के सदस्यों ने पाइप के जरिए उनसे बातचीत की है.
उत्तरकाशी में टनल हादसे के बाद उत्तराखंड सरकार ने रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए 3 अफसरों को तैनात किया है. इन अधिकारियों में हरिद्वार के डिप्टी कलेक्टर मनीष कुमार सिंह, हरिद्वार के जिला अधिकारी पूर्ति तेजबल सिंह और रुद्रप्रयाग के जिला कार्यकम अधिकारी अखिलेश मिश्र शामिल हैं.
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सभी एजेंसियां, इंजीनियर, तकनीशियन और विशेषज्ञ इस पर काम कर रहे हैं. उनकी कड़ी मेहनत से अब छह इंच की पाइपलाइन के माध्यम से भोजन भेजा जा रहा है. यह निश्चित रूप से हमारे लिए उत्साहजनक है. हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि बचाव अभियान जल्द से जल्द समाप्त होगा और हमारे सभी श्रमिक सुरक्षित बाहर आएंगे. प्रधानमंत्री हर दिन जानकारी ले रहे हैं और हमें हर संभव सहायता प्रदान कर रहे हैं. मैंने आज प्रधानमंत्री को सारी जानकारी दे दी है.
सिल्कयारा में सुरंग सुरक्षा और आपदा जांच में विश्व स्तर के विशेषज्ञ प्रोफेसर अर्नोल्ड डिक्स ने कहा कि हमने उन्हें देखा है, वे जीवित हैं, वे ठीक हैं. सभी एजेंसियां एक साथ काम कर रही हैं, पूरी दुनिया यहां है. वे 41 लोग घर आ रहे हैं. हालांकि कब अभी ये नहीं कह सकते. मैं मदद के लिए यहां हूं.
पीएम मोदी ने सीएम धामी को फोन करके ताजा जानकारी ली है. सीएम पुष्कर धामी ने एक्स पर पोस्ट किया कि पीएम मोदी ने आज पुनः फोन कर सिलक्यारा, उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सुरंग में फंसे श्रमिकों के राहत एवं बचाव कार्यों की जानकारी ली. प्रधानमंत्री को श्रमिक बंधुओं से एंडोस्कोपिक फ़्लेक्सी कैमरे की मदद से हुई बातचीत एवं उनकी कुशलता की जानकारी भी दी. प्रधानमंत्री जी ने यह भी कहा कि सभी श्रमिक भाइयों को सुरक्षित निकालना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है.
उत्तरकाशी में सुरंग बचाव दल के अधिकारियों ने पहली बार पाइपलाइन और एंडोस्कोपिक फ्लेक्सी कैमरे के माध्यम से सुरंग में फंसे श्रमिकों के साथ ऑडियो-विज़ुअल संपर्क स्थापित किया. मजदूरों का एक और वीडियो जारी किया गया है.
उत्तरकाशी में सुरंग में अंदर फंसे 41 श्रमिकों तक पहुंचने के लिए सिल्कयारा सुरंग के पास 900 मिमी के और पाइप लाए गए.
सिल्कयारा सुरंग में फंसे एक श्रमिक के परिवार के एक सदस्य का कहना है कि हमें उम्मीद है, लेकिन जब मैं उनसे बात करूंगी तो मैं संतुष्ट हो जाऊंगी. फंसे हुए श्रमिकों की पहली तस्वीरें आज सुबह सामने आईं जब एक एंडोस्कोपिक फ्लेक्सी कैमरा उन तक पहुंचा.
उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों की पहली तस्वीर सामने आई है. बचावकर्मियों ने सोमवार को ध्वस्त सुरंग के मलबे के माध्यम से छह इंच चौड़ी पाइपलाइन डाली, जिससे बड़ी मात्रा में भोजन की आपूर्ति और आठ दिनों से अंदर फंसे 41 श्रमिकों के लाइव वीडियो उपलब्ध हो सके.
उत्तरकाशी सुरंग हादसा: बचावकर्मी वॉकी-टॉकी के माध्यम से फंसे हुए श्रमिकों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं.
उत्तरकाशी में सुरंग के ऊपर पहाड़ी के ऊपरी हिस्से से वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए मशीन सिल्क्यारा सुरंग तक पहुंच गई है.
उत्तरकाशी की सुरंग में मजदूरों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. बचाव दल ने सिल्क्यारा सुरंग के अंदर पाइपलाइन बिछाने का काम शुरू कर दिया है.
उत्तरकाशी टनल हादसे में फंसे 41 मजदूरों के लिए रेस्क्यू अभियान जारी है. वहीं उत्तराखंड CM पुष्कर सिंह धामी ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा- "उत्तरकाशी के सिल्क्यारा में निर्माणाधीन सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए चल रहे बचाव अभियान के तहत मलबे के पार 6 इंच व्यास वाली पाइपलाइन सफलतापूर्वक बिछा दी गई है. इसके माध्यम से अब श्रमिकों को आवश्यकता के अनुसार खाद्य सामग्री, दवाएं और अन्य सामान आसानी से भेजा जाएगा. बचाव कार्यों में लगी केंद्रीय एजेंसियां, एसडीआरएफ और राज्य प्रशासन की टीमें अथक प्रयास कर रही हैं, सभी श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए हम युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं."
उत्तरकाशी टनल हादसे में फंसे 41 मजदूरों को अभी तक बाहर नहीं निकाला जा सका है, इसके लिए रेस्क्यू अभियान जारी है. वहीं टनल के अंदर फंसे मजदूरों तक पहुंचाने के लिए खिचड़ी, दाल समेत खाद्य सामग्री तैयार और पैक की गई है. कुक रवि रॉय ने कहा कि एक व्यक्ति के हिसाब 750 ग्राम खाना तैयार किया गया है और हमने 41 लोगों के लिए खाना तैयार किया है. आज उनके लिए खिचड़ी भेजी गई है, संतरे-सेब और नींबू का रस भी भेजा गया है. कल से दलिया और अन्य खाद्य सामग्री उन्हें भेजी जाएगी.
उत्तरकाशी टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए सरकार द्वारा बचाव अभियान जारी है. वहीं इस बचाव अभियान को लेकर एनएचआईडीसीएल के निदेशक अंशु मनीष खाल्को ने कहा कि हमने मलबे के दूसरी ओर तक 53 मीटर की पाइप भेज दी है और (अंदर फंसे) मजदूरों को अब हम सुन सकते हैं और महसूस कर सकते हैं.
उत्तरकाशी टनल हादसा पर कर्नल दीपक पाटिल ने काह- "150 एमएम व्यास की पाइपलाइन स्थापित की गई है. हम इससे सुरंग के अंदर फंसे लोगों को खाना, मोबाइल और चार्जर भेजेंगे. हम अंदर वाईफाई कनेक्शन लगाने की भी कोशिश करेंगे. डीआरडीओ के रोबोट भी काम कर रहे हैं."
नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने संबंधी पी.आई.एल. में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार से 48 घंटे के भीतर जवाब मांगा है.
उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 48 घंटो के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा. हाईकोर्ट की दखल के बाद राज्य सरकार ने टनल में फंसे मजदूरों के परिजनों के रहने का इंतजाम किया. इससे पहले अंदर फंसे मजदूरों के परिजनों के रुकने तक का इंतजाम नहीं किया गया था, परिजन टेंट में रह रहे थे. राज्य सरकार ने परिजनों के रहने खाने पीने के इंतजाम के लिए सिलक्यारा 3 अधिकारी भेजे हैं.
उत्तरकाशी के टनल में फंसे मजदूरों के रेस्क्यू को लेकर DM अभिषेक रूहेला ने बताया BRO के द्वारा अप्रोच रोड बनाने का काम किया जा रहा है जो आज देर रात या कल सुबह तक इसके पूरा होने की उम्मीद कर रहे हैं.
उत्तरकाशी टनल में फंसे मजदूरों के रेस्क्यू को लेकर एनएचआईडीसीएल के निदेशक अंशू मनीष खलखो ने कहा कि डीआरडीओ ने 20 किलो और 50 किलो वजन वाले 2 रोबोट भेजे हैं. यह रोबोट जमीन पर चलते हैं, हालांकि टनल के अंदर की जमीन रेत की तरह है. इसलिए हमें आशंका है कि रोबोट वहां चल पाएंगे या नहीं.
उत्तरकाशी की टनल में फंसे मजदूरों के लिए रेस्क्यू अभियान जारी है. वहीं अब 9 दिन बाद रेस्क्यू टीम को बड़ी सफलता मिली है. टनल में फंसे मजदूरों तक 6 इंची पाइप पहुंच गया है.
52 से 53 मीटर पर 6 इंची पाइप पार हुआ है. अब खाना व अन्य चीजों को 41 मजदूरों तक पहुचाने में बड़ी मदद मिलेगी.
उत्तरकाशी टनल के अंदर फंसे मजदूरों के सुकशल रेस्क्यू के लिए कांग्रेस ने यज्ञ किया है. उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष करण मेहरा ने तमाम कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ यज्ञ कर तमाम मजदूरों के सकुशल वापसी लौटने की प्रार्थना की.
उत्तराखंड सरकार उत्तरकाशी टनल में फंसे लोगों के हाल-चाल जानने के लिये पंहुचे परिजनों का खर्चा उठाएगी. धामी सरकार ने मजदूरों के परिजनों से समन्वय बनाने को तीन और अफसर उत्तरकाशी भेजे हैं. वहीं आवागमन, रहने, खाने और मोबाइल का खर्चा भी उत्तराखंड की धामी सरकार देगी.
गब्बर सिह नेगी, उत्तराखंड
सबाह अहमद, बिहार
सोनु शाह, बिहार
मनिर तालुकदार, पश्चिम बंगाल
सेविक पखेरा, पश्चिम बंगाल
अखिलेष कुमार, यूपी
जयदेव परमानिक, पश्चिम बंगाल
वीरेन्द्र किसकू, बिहार
सपन मंडल, ओडिशा
सुशील कुमार, बिहार
विश्वजीत कुमार, झारखंड
सुबोध कुमार, झारखंड
भगवान बत्रा, ओडिशा
अंकित, यूपी
राम मिलन, यूपी
सत्यदेव, यूपी
सन्तोष, यूपी
जय प्रकाश, यूपी
राम सुन्दर, उत्तराखंड
मंजीत, यूपी
अनिल बेदिया, झारखंड
श्राजेद्र बेदिया, झारखंड
सुकराम, झारखंड
टिकू सरदार, झारखंड
गुनोधर, झारखंड
रनजीत, झारखंड
रविन्द्र, झारखंड
समीर, झारखंड
विशेषर नायक, ओडिशा
राजू नायक, ओडिशा
महादेव, झारखंड
मुदतू मुर्म, झारखडं
धीरेन, ओडिशा
चमरा उरॉव, झारखंड
विजय होरो, झारखंड
गणपति, झारखंड
संजय, असम
राम प्रसाद, असम
विशाल, हिमाचल प्रदेश
पु्ष्कर, उत्तराखंड
दीपक कुमार, बिहार
उत्तराखंड में सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए DRDO की रोबोटिक्स मशीन टीम सिलक्यारा सुरंग स्थल पर पहुंची.
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए भाजपा नेता विजय गोयल ने दिल्ली के हनुमान मंदिर में हवन किया.
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि उन्होंने स्वयं मौके पर जाकर स्थलीय निरीक्षण किया और बचाव कार्यों पर लगातार नजर रखें हैं. मेडिकल की टीम भी वहां पर तैनात कर दी गई है. मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरंग के अंदर फंसे सभी मजदूर सुरक्षित हैं और उन्हें जल्द बाहर निकलने की पूरी कोशिश की जा रही है. अब तक प्रधानमंत्री तीन बार मुख्यमंत्री से स्थिति की जानकारी ले चुके हैं. पीएमओ की टीम भी मौके का निरीक्षण कर चुकी है और लगातार स्थिति पर नज़र बनाये हुए है और समन्वय का कार्य कर रही है.
अंतर्राष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने कहा कि सुरंग के अंदर क्या हो रहा है, इसके बारे में हम जानते हैं. हम उन 41 लोगों को बचा रहे हैं और ऐसा करते समय हम किसी को भी चोट नहीं पहुंचने देंगे. यह किसी भी जटिल काम की तरह है जहां हमें ऊपर से नीचे तक चारों ओर देखना होता है. यहां टीम बचाव पर इतना ध्यान केंद्रित कर रही है कि किसी और को चोट न पहुंचे. फिलहाल, यह सकारात्मक दिख रहा है. हम सभी एक टीम हैं और पूरी दुनिया हमारे साथ है.
उत्तरकाशी सुरंग दुर्घटना के बाद बचाव अभियान अभी भी जारी है. फंसे हुए पीड़ितों को बाहर निकालने के लिए बचाव अभियान के तहत भारी मशीनें सिलक्यारा सुरंग में पहुंच गई हैं.
इंटरनेशनल टनलिंग अंडरग्राउंड स्पेस के अध्यक्ष, प्रोफेसर अर्नोल्ड डिक्स ने बताया, "कल से बहुत सारा काम किया जा चुका है. यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम न केवल उन्हें (श्रमिकों) बचाएं बल्कि यह भी जरूरी है कि हम जिन श्रमिकों को बचा रहे हैं वह सुरक्षित रहे."
इंटरनेशनल टनलिंग अंडरग्राउंड स्पेस के अध्यक्ष, प्रोफेसर अर्नोल्ड डिक्स सिल्क्यारा सुरंग पहुंचे, जहां फंसे हुए पीड़ितों को बाहर निकालने के लिए बचाव अभियान चल रहा है. उन्होंने सुरंग के मुख्य द्वार पर बने एक मंदिर में पूजा-अर्चना भी की.
सीएम पुष्कर धामी ने ट्वीट किया कि पीएम मोदी ने दूरभाष के माध्यम से सिलक्यारा के पास निर्माणाधीन टनल में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित निकालने हेतु संचालित राहत एवं बचाव कार्यों की जानकारी ली. केंद्र सरकार द्वारा आवश्यक बचाव उपकरण व संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. केंद्र व राज्य की एजेंसियां परस्पर समन्वय और तत्परता के साथ राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं. टनल में फंसे श्रमिक सुरक्षित हैं और उन्हें ऑक्सीजन, पौष्टिक भोजन और पानी उपलब्ध करवाया जा रहा है. राहत और बचाव कार्यों के लिए एक्सपर्ट्स की राय भी ली जा रही है. सुरंग के अंदर फंसे सभी श्रमिकों को शीघ्र व सकुशल बाहर निकालने की पूरी कोशिश की जा रही है.
पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे और पीएमओ के उप सचिव मंगेश घिल्डियाल ने बचाव अभियान में शामिल सभी संबंधित विभागों (आरवीएनएल, नवयुग, ओएनजीसी, राज्य पीडब्ल्यूडी, बीआरओ और टीएचडीसी) से रेस्क्यू ऑपरेशन की प्रगति पर अंतिम रिपोर्ट शाम तक प्रदान करने को कहा. बचाव दल को सुरंग में फंसे मजदूरों का रेस्क्यू ऑपरेशन जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं.
उत्तराखंड सीएमओ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बातचीत की. पीएम ने उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों के लिए चल रहे राहत और बचाव कार्यों की जानकारी ली. पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से जरूरी बचाव उपकरण और संशाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. केंद्र और राज्य एजेंसियों के आपसी समन्वय से मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जाएगा. फंसे हुए श्रमिकों का मनोबल बनाए रखने की जरूरत है.
उत्तरकाशी सुरंग दुर्घटना के बाद बचाव अभियान अभी भी जारी है. ये वीडियो सिलक्यारा सुरंग के अंदर से है.
सिल्कयारा सुरंग के सुबह की तस्वीरें हैं जहां 12 नवंबर को सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने के बाद 41 कर्मचारी फंसे हुए हैं.
उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि हमने आज 'छठी मैया' की पूजा की और उगते सूर्य को 'अर्घ्य' दिया. हमने राज्य और पूरे देश के लिए प्रार्थना की. साथ ही हमने टनल में फंसे मजदूरों के लिए भी प्रार्थना की है.
उत्तरकाशी में सुरंग में मजदूरों को फंसे हुए आठ दिन बीत गए और आज नौवां दिन हैं. फंसे हुए लोगों तक खाना पहुंचा रहे पाइप के अलावा एक और बड़े व्यास का लाइफ सपोर्ट पाइप मलबे में 42 मीटर अंदर तक डाल दिया गया है जिससे उन तक जरूरी चीजें पहुंचाई जा सकें.
बैकग्राउंड
Uttarkashi Tunnel Accident Rescue Highlights: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग के एक हिस्से के ढहने से उसके अंदर फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए युद्ध स्तर पर बचाव अभियान चल रहा है. इस हादसे को आज नौवां दिन है. रविवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी घटलास्थल पर पहुंचे. उन्होंने बचाव कार्यों का निरीक्षण करने के बाद कहा कि फंसे लोगों को जरूरी सामान की आपूर्ति के लिए मलबे में एक और बड़े व्यास की पाइपलाइन डाली जा रही है. रेस्क्यू में में दो से ढाई दिन और लग सकते हैं.
बचाव अभियान में आयी रुकावट के बाद अधिकारियों ने शनिवार को श्रमिकों तक जल्द पहुंचने के लिए सुरंग के उपर से 'वर्टिकल' ड्रिलिंग करने की तैयारी शुरू की. गडकरी ने कहा कि इन परिस्थितियों में क्षैतिज खुदाई ही 'सर्वश्रेष्ठ विकल्प' लगता है और अगर आगर मशीन के रास्ते में बाधा नहीं आती तो फंसे श्रमिकों तक ढाई दिनों में पहुंचा जा सकता था.
मंत्री ने कहा कि श्रमिक सुरंग के अंदर ऐसे स्थान पर फंसे हैं जहां वे आसपास घूम सकते हैं. उनके पास खुली जगह, बिजली, खाना, पानी और आक्सीजन है. सिलक्यारा में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी में अधिकारियों के साथ एक लंबी बैठक के बाद गडकरी ने कहा, ''फंसे श्रमिकों को बचाना और उन्हें जल्द से जल्द बाहर निकालना सबसे बड़ी प्राथमिकता है.''
मौके पर रविवार शाम को भी ड्रिलिंग शुरू नहीं हो पाई लेकिन अधिकारियों ने कहा कि मलबे को भेदने और उसमें बड़े व्यास के स्टील पाइप डालकर श्रमिकों के लिए 'एस्केप पैसेज' बनाने के लिए आगर मशीन को फिर से चलाए जाने की तैयारी चल रही है. सिन्हा ने कहा कि केंद्रीय मंत्री ने सुझाव दिया है कि मलबे की सतह और सुरंग की छत के बीच की जगह का परीक्षण करने के लिए रोबोट की मदद ली सकती है.
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि अगर आगर मशीन ठीक तरह से काम करती है और उसे किसी बड़ी अड़चन का सामना नहीं करना पड़ता है तो यह मलबे में क्षैतिज ड्रिलिंग कर फंसे श्रमिकों तक सबसे जल्दी पहुंचने का तरीका है. हालांकि, श्रमिकों को जल्द से जल्द सकुशल बाहर निकालने को सबसे बड़ी प्राथमिकता बताते हुए उन्होंने कहा कि सुरंग के दोनों छोरों से क्षैतिज, सुरंग के उपर से वर्टिकल और सुरंग के दांये और बाएं से ड्रिलिंग करने के सभी विकल्पों को तलाशा जा रहा है.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -