Uttarkashi Tunnel Rescue Operation: उत्तरकाशी के सिल्क्यारा में टनल हादसे में फिलहाल भारतीय सेना पूरी तरह से इन्वॉल्व नहीं हुई है. अभी तक बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन ने वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए सड़क बनाई है, जिसमें वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू हो गई है. इसके अलावा रेस्क्यू के लिए प्लान सी पर भी काम हो रहा है, जिसकी जिम्मेदारी सेना पर है. इस प्लान के तहत सेना रिफ्ट टनल बनाएगी.
सेना पर 1200 एमएम का रिफ्ट टनल बनाने की जिम्मेदारी दी गई है. इस टनल को बनाने में कम से कम सात दिन का समय लगेगा. जब मौजूदा प्लान ए और बी यानी हॉरिजोंटल ड्रिलिंग और वर्टिकल ड्रिलिंग दोनों किन्हीं कारणों की वजह से फेल होते हैं तो फिर प्लान सी का इस्तेमाल होगा. रिफ्ट टनल इसी प्लान सी के तहत बनाई जा रही है.
'प्लान सी' पर काम शुरू
दरअसल उत्तकाशी की सुरंग में फंसे मजदूरों के रेस्क्यू को आज सोलहवां दिन हो चुका है लेकिन अब तक श्रमिकों को बाहर नहीं निकाला जा सका है. तमाम कोशिशों के बावजूद वो वहीं फंसे हुए हैं. मशीनें चलती हैं, लेकिन किसी न किसी वजह से रुकावट आ रही है और रेस्क्यू को रोकना पड़ रहा है. इससे पहले कई बार ऐसा भी लगा कि कुछ ही घंटों में मजदूरों को निकाला जा सकता है, लेकिन हर बार उम्मीदों पर पानी फिर गया.
टनल में फंस मजदूरों को पहले हॉरिजोंटल ड्रिलिंग के जरिए निकालने का प्लान था, लेकिन आखिरी दौर में आते-आते ऑगर मशीन लोहे के जाल में फंसकर टूट गई. इन टुकड़ों को निकालने में दो दिन का समय लग गया. अब मैन्युअल खुदाई की जाएगी. दूसरी तरफ प्लान बी यानी वर्टिकल ड्रिलिंग का काम भी शुरू गया है. इसके जरिए अब चट्टान के ऊपर से ड्रिलिंग की जाएगी. इस प्रक्रिया में चार दिन का समय लग सकता है.
सुरंग में फंसी ऑगर मशीन को हटाया
माइक्रो टनलिंग विशेषज्ञ क्रिस कूपर के मुताबिक ऑगर मशीन का सारा मलबा हटा दिया गया है. मैन्युअल ड्रिलिंग 3 घंटे के बाद शुरू होगी. हमें 9 मीटर हाथ से सुरंग बनाने का काम करना है. यह इस पर निर्भर करता है जमीन कैसे व्यवहार करती है. ये जल्दी भी हो सकता है, थोड़ा लंबा भी हो सकता है.
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