Uttarkashi Tunnel Rescue: जानें- कौन हैं बाबा बौखनाग जिनके 'प्रकोप' से हुआ सुरंग हादसा, अब ग्रामीणों ने किया बड़ा दावा
Uttarkashi Tunnel Rescue: ग्रामीणों का कहना है कि जब तक बाबा बौखनाग देवता का पक्का मंदिर नहीं बनेगा और उनकी पूजा अर्चना नहीं होगी तब तक रेस्क्यू में दिक्कतें आती रहेंगी.
Uttarkashi Tunnel Rescue Operation: उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन (Rescue Operation) का आज सोलहवां दिन है. लगातार मशीनें चलती हैं और फिर कोई न कोई रुकावट आ जाती है. दिन-रात मेहनत के बावजूद अब तक मजूदरों को बाहर नहीं निकाला जा सका है वो आज भी वहीं के वहीं फंसे हुए हैं. ग्रामीण इसे बाबा बौखनाग देवता (Baba Bokhnaag) का प्रकोप मान रहे हैं. उनका कहना है कि सुरंग बनने की वजह से बाबा नाराज हो गए, इसलिए रेस्क्यू ऑपरेशन सफल नहीं हो पा रहा है.
ग्रामीणों का मानना है कि बौखनाग देवता की नाराजगी की वजह से टनल में फंसे मजदूरों का रेस्क्यू नहीं हो पा रहा है और बार-बार इसमें अड़चनें आ रही हैं. उन्होंने कहा कि जब तक बाबा बौखनाग के मंदिर का पक्का निर्माण नहीं होगा और उनकी विधिवत तरीके से पूजा अर्चना नहीं होगी तब तक रेस्क्यू नहीं हो सकेगा.
जानें कौन हैं बाबा बौखनाग
दरअसल उत्तरकाशी के राड़ीटॉप इलाके में बाबा बौखनाग का मंदिर है. बाबा बौखनाग को यहां का क्षेत्र रक्षक माना जाता है. पहाड़ों के बीच बने इस मंदिर पर हर साल मेला लगता है. ग्रामीणों में उनकी बड़ी मान्यता है, यहां के हर गांव में बाबा का मंदिर है. माना जाता है कि वो इस पूरे क्षेत्र की रक्षा करते हैं. बाबा बौखनाग के दर्शन करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
ग्रामीणों को कहना है कि बाबा बौखनाग की उत्पत्ति नाग के रूप में हुई है. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण टिहरी में सेम मुखेम से आए थे. इसलिए हर साल सेम मुखेम और बाबा बौखनाग के मंदिर पर मेले का आयोजन होता है. ग्रामीणों का कहना है कि ये मंदिर जहां स्थिति है. उसके ठीक नीचे से ही सुरंग गुजर रही है. ऐसे में उनकी पूंछ के नीचे से सुरंग का गुजरना अहितकारी हो सकता है.
बाबा के आशीर्वाद से ही पूरा होगा रेस्क्यू!
ग्रामीणों का कहना है कि इस मंदिर का पक्का निर्माण किया जाए और विधि विधान के साथ पूजा अर्चना हो. जिसके बाद ही रेस्क्यू हो पाएगा. जब तक बाबा का आशीर्वाद नहीं मिलेगा तब तक इसी तरह रेस्क्यू में अड़चनें आती रहेंगी. आज मजदूरों को सुरंग में फंसे हुए पंद्रह दिन पूरे हो चुके हैं और मजदूर वहीं के वहीं फंसे हैं. सरकार के लिए उनका रेस्क्यू करना मुश्किल हो रहा है.
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