Uttarkashi Rescue News: उत्तकाशी के सुरंग से मंगलवार (28 नवंबर) शाम 7 बजकर 45 मिनट पर सुरंग से पहले मजदूर को बाहर निकाला गया. इसके बाद धीरे-धीरे करके सभी मजदूरों को सुरक्षित रेस्कूय कर लिया गया. मजदूरों को बाहर निकालने के बाद उन्हें 17 एंबुलेंस की मदद से चिल्यालीसौड अस्पताल ले जाया गया. इस सफल रेस्क्यू को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सभी टीम को बधाई थी. साथ ही मजदूरों के हिम्मत की भी दाद दी.
उत्तराखंड के उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग में 12 नवंबर को दीपावली के दिन अचानक आए भूस्खलन ने देश और दुनिया को हिला कर रख दिया था. ऐसा इसलिए क्योंकी उस वक्त एक ओर जहां देशभर में दीपावली की तैयारी जोरो-शोरों पर हो रही थी. वहीं 41 मजदूरों की जिंदगी सुरंग के अंदर कैद हो गई थी. जिसके बाद उन मजदूरों के परिवार की खुशियों को जैसे ग्रहण ही लग गया.
फिलहाल प्रशासन और शासन तक हादसे की जानकारी पहुंचते ही बड़े स्तर पर रेस्क्यू का काम शुरू किया गया. सुरंग के अंदर भूस्खलन के कारण काफी ज्यादा मात्रा में मलबा आ जाने के कारण खुदाई कर या फिर हाथ से मलवा हटा कर मजदूरों को बाहर नहीं निकाला जा सकता था. ऐसे में बड़ी-बड़ी मशीनों को रेस्क्यू के काम में लिया गया. इस दौरान अमेरिकी ऑगर मशीनों की मदद ड्रिलिंग के काम के लिए ली गई.
ऑगर मशीनों से की गई ड्रिलिंग
सुरंग में ड्रिलिंग के लिए मंगाई गई अमेरिकी ऑगर मशीनों को भारतीय वायुसेना के हवाई जहाज के माध्यम से उत्तरकाशी में पहुंचाया गया. फिलहाल सुरंग के अंदर ड्रिल करने में कई बार मशीनों को दिक्कत का सामना करना पड़ा. जिस दौरान कई बार मशीनों को काम करने से भी रोका गया और उनकी मरम्मत का काम किया गया. फिलहाल जहां सुरंग के अंदर ड्रिलिंग का काम जोरों पर चला. वहीं प्रशासन ने दूसरा विकल्प निकालते हुए सुरंग के ऊपर वर्टिकल ड्रिलिंग पर भी काम शुरू कर दिया.
पाइप के जरिए मजदूरों तक पहुंचाया गया खाना
प्रशासन ने मजदूरों को सुरंग के अंदर जिंदा रखने के लिए अपनी तैयारी पूरी रखी थी. रेस्क्यू के काम में लंबा समय लगने के अंदेशे को देखते हुए प्रशासन ने सबसे पहले छोटे 60 एमएम के पाइप को ड्रिल कर मजदूरों तक पहुंचाया था. जिसके बाद उसमें लगे पाइप की मदद से खाना-पानी और हवा की व्यवस्था की गई. जिससे समय-समय पर खाना और पानी के साथ ही दवा भेज कर सभी मजदूरों को जिंदा रखा गया.
एंडोस्कोपिक कैमरों से लिया गया मजदूरों की स्थिति का जायजा
12 नवंबर से लगातार चल रहे रेस्क्यू काम में आ रही देरी के कारण मजदूरों का परिवार अपनी उम्मीद खोते नजर आ रहा था. इस बीच 21 नवंबर को प्रशासन ने पहली बार एंडोस्कोपिक कैमरों को पाइप के जरिए मजदूरों तक पहुंचा कर मजदूरों की स्थिति को दुनिया के सामने लाया. वहीं 22 नवंबर को मजदूरो को खाने के लिए रोटी, सब्जी, खिचड़ी और दलिया पहुंचाया गया. इससे पहले मजदूरों को खाने के लिए बादाम और ड्राई फ्रूट्स जैसे सामान दिए जा रहे थे.
ऑगर मशीन के टूटने से रुका था रेस्क्यू का काम
वहीं 25 नवंबर को ऑगर मशीन के टूटने के कारण रेस्क्यू का काम रोका गया. जिसने सभी के दिलों की धड़कनें बढ़ा दी थी. फिलहाल रेस्क्यू के 17वें दिन रैट होल माइनिंग तकनीक का इस्तेमाल कर रैट माइनर्स ने पाइप के अंदर जाकर हाथों से पाइप के सामने आ रहे मलवे को हटाया और आगे का रास्ता बनाया और अंत में सभी 41 मजदूरों को सुरंग से बाहर निकाला गया.
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजे गए मजदूर
बता दें कि सुरंग में भूस्खलन के बाद एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के साथ आईटीबीपी, बीआरओ, आपदा प्रबंधन विभाग और पुलिस की टीमों ने रेस्क्यू का काम संभाला था. फिलहाल लंबे संघर्ष के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन के 17वें दिन सफलता मिल गई और सभी मजदूरों को 800 एमएम पाइप के जरिए सुरंग से बाहर निकाला गया. वहीं इसके बाद ही सभी मजदूरों को प्राथमिक चिकित्सा उपचार के लिए चिन्यालीसौड़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लाया गया.
'आखिरकार, भगवान ने हमारी सुन ली'
खीराबेड़ा में, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सिलक्यारा सुरंग में फंसे तीन श्रमिकों के परिवार के सदस्यों में उस समय खुशी की लहर दौड़ गई जब मंगलवार शाम को रांची के बाहरी इलाके में स्थित इस गांव में उनके बचाव की खबर पहुंची.
लकवाग्रस्त श्रवण बेदिया (55) का इकलौता बेटा राजेंद्र वहां फंसा हुआ था. लंबी निराशा के बाद चेहरे पर कुछ राहत के साथ अपनी झोपड़ी के बाहर उन्हें व्हीलचेयर पर देखा गया. राजेंद्र (22) के अलावा, गांव के दो अन्य लोग-सुखराम और अनिल, जिनकी उम्र लगभग 20 वर्ष के आसपास है, 16 दिन तक सुरंग के अंदर फंसे रहे.
उत्तरकाशी में सुरंग के बाहर डेरा डाले हुए अनिल के भाई सुनील ने रुंधी आवाज में कहा, ‘‘आखिरकार, भगवान ने हमारी सुन ली. मेरे भाई को बचाया जा सका. मैं अस्पताल ले जाते समय एम्बुलेंस में उसके साथ हूं.’’
1-1 लाख रुपये के चेक का एलान
मजदूरों को बाहर निकाले जाने के बाद सुरंग के बाहर खड़ी एंबुलेंस के जरिए उन्हें सिलक्यारा से 30 किलोमीटर दूर चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बनाए गए अस्पताल में ले जाया गया.
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि श्रमिकों और उनके परिजनों के चेहरे की खुशी ही उनकी 'ईगास और बग्वाल' (दीवाली के दस दिन बाद पर्वतीय क्षेत्र में मनाई जाने वाली दीवाली) है. सीएम ने सभी श्रमिकों को 1-1 लाख रुपये का चेक देने और बाबा बौखनाग का मंदिर बनाने का एलान भी किया.
उन्होंने अभियान के सफल होने का श्रेय बचाव दल की तत्परता, तकनीकी मदद, अंदर फंसे श्रमिकों की जीवटता, प्रधानमंत्री द्वारा पल-पल की गई निगरानी और बौखनाग देवता की कृपा को दिया. इसके साथ ही सीएम धामी से पीएम मोदी ने फोन पर बात की और सभी श्रमिकों को घर तक पहुंचाने के इंतजाम करने के निर्देश भी दिए.
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