अगले साल देश के 5 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं. इनमें हिमालयी राज्य उत्तराखंड (Uttrakahand) भी शामिल है. इस समय उत्तराखंड में बीजेपी (BJP) की सरकार है. और कांग्रेस (Congress) वहां की मुख्य विपक्षी पार्टी है. उत्तराखंड में अभी चुनाव को लेकर माहौल अभी उतना नहीं बना है जितना की उसके पड़ोसी उत्तर प्रदेश (UP Assembly Election 2022) में दिख रहा है. लेकिन दोनों ही दल आने वाले समय अपनी चुनाव गतिविधियों को बढ़ाने वाले हैं.
सत्ताधारी बीजेपी की चुनाव प्रचार की तैयारी
साल 2000 में राज्य बनने के बाद से उत्तराखंड में अबतक 4 विधानसभा चुनाव कराए गए हैं. पहला चुनाव 2002 और पिछला चुनाव 2017 में कराया गया था. उत्तराखंड की विधानसभा में 70 सीटें हैं. बीजेपी ने पिछला चुनाव सभी 70 सीटों पर लड़ा था. उसने 57 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए 46.51 फीसदी वोट अपने नाम किए थे. वहीं मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने भी सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था. लेकिन वह केवल 11 सीटें ही जीत पाई थी. 2 सीटें निर्दलियों ने जीती थीं.
Uttarakhand Election 2022: विधानसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड की सियासत में हरीश रावत के मौन का 'शोर'
चुनावी गतिविधियों को लेकर पहले बात करते हैं सत्तारूढ़ बीजेपी की. बीजेपी ने दिल्ली में हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में उत्तराखंड में चुनाव गतिविधियों का खाका पेश किया. बीजेपी राज्य में दिसंबर तक 252 बैठकें आयोजित करेगी. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और कई केंद्रीय मंत्रियों के कार्यक्रम राज्य में आयोजित किए जाएंगे. उत्तराखंड के बहुत से लोग सेना और अर्धसैनिक बलों में काम करते हैं. इसे देखते हुए पार्टी के नेता सैनिकों और पूर्व सैनिकों के परिवार के साथ संपर्क बढ़ाएंगे. इसके अलावा बीजेपी ने दूसरे राज्यों में रहने वाले उत्तराखंडियों से भी मतदान करने की अपील करने की रणनीति बनाई है.
कांग्रेस के चुनाव प्रचार की तैयारी
उत्तराखंड की मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रचार समिति की कमान पू्र्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को सौंपी है. वो अपनी भूमिका निभाने में सक्रिय भी हो गए हैं. लेकिन उनके साथ एक समस्या यह है कि वो पंजाब के प्रभारी महासचिव भी है. वहां भी अगले साल उत्तराखंड के साथ ही चुनाव होने हैं. दोनों जिम्मेदारियों को निभाते हुए भी रावत उत्तराखंड पर ध्यान दे पा रहे हैं.
अगले साल होने वाले चुनाव के लिए कांग्रेस का जोर गांव-गांव और घर-घर जाकर अपनी सरकारों के विकास कार्य और पार्टी की नितियों को पहुंचाने पर है. कांग्रेस के नेता पदयात्रा कर रहे हैं. वो गांवों में रात्रि विश्राम कर चौपाल लगा रहे हैं. इसमें कांग्रेस के छोटे बड़े हर स्तर के नेता शामिल हो रहे हैं. इसके आलावा कांग्रेस पार्टी छोड़कर दूसरे दलों में गए अपने नेताओं को भी वापस ला रही है. उत्तराखंड में कभी कांग्रेस का बड़ा और दलित चेहरा रहे यशपाल आर्य ने अभी हाल ही में अपने विधायक बेटे के साथ कांग्रेस में वापसी की है.
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