Joshimath Landslide: जोशीमठ में भू-धंसाव के बाद पीड़ित परिवारों की परेशानी बढ़ गई है. राज्य सरकार की तरफ से इस संबंध में राहत-बचाव कार्य किए जा रहे हैं लेकिन सरकार के प्रयासों से स्थानीय लोग संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं. यहीं कारण है कि अब उनका गुस्सा सरकार और प्रशासन पर निकल रहा है. दरअसल उत्तराखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र प्रसाद भट्ट स्थिति का आंकलन करने और पीड़ित परिवारों से मिलने जोशीमठ पहुंचे थे लेकिन वहां उन्हें लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा. आक्रोशित लोगों ने उन्हें घेरते हुए जमकर नारेबाजी की.
BJP प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ पीड़ितों ने लगाए नारे
प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र प्रसाद भट्ट जोशीमठ में प्रभावित इलाकों को निरीक्षण करने पहुंचे थे कि तभी लोगों ने उन्हें घेर लिया और अपना आक्रोश व्यक्त किया. महेंद्र भट्ट लोगों को समझाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन अपने आशियानों को उजड़ता देख लोग महेंद्र भट्ट की एक बात भी सुनने को तैयार नहीं थे. आक्रोशित लोगों ने वहीं पर महेंद्र भट्ट के खिलाफ नारेबाजी भी की. हालांकि मौके पर मौजूद बीजेपी के कुछ कार्यकर्ता किसी तरह महेंद्र भट्ट को भीड़ से दूर लेकर गए.
Joshimath Sinking: जोशीमठ में अब तक क्या हुआ एक्शन, जानिए- आगे प्रशासन ने क्या कर रखी है तैयारी?
सीएम ने की बैठक
इससे पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीएमए) के अधिकारियों एवं सदस्यों ने भेंट की. उन्होंने मुख्यमंत्री से जोशीमठ भू धसांव से उत्पन्न स्थिति के बाद राहत एवं बचाव कार्यों के संबंध में चर्चा की. सभी ने उत्तराखण्ड सरकार द्वारा जोशीमठ भू धसांव क्षेत्र में संचालित राहत एवं बचाव कार्यों के प्रयासों की सराहना की तथा मुख्यमंत्री को जोशीमठ क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थिति एवं भूधसांव के कारणों की जांच तथा आपदा राहत में केंद्रीय मदद का भरोसा दिया.
एनडीएमए सदस्यों का सुझाव था कि भूधसांव क्षेत्र में पानी कहां रूका हुआ है तथा भूधसांव के कारण क्या हैं, इसका पता लगाया जाना जरूरी है. इसके लिये सभी संबंधित संस्थानों के वैज्ञानिकों का सक्रिय सहयोग लिया जायेगा ताकि समस्या का समाधान हो. साथ ही आपदा पीड़ितों के पुनर्वास हेतु चयनित स्थलों का भी भूगर्भीय सर्वेक्षण पर ध्यान दिया जाए. इस समस्या के स्थायी समाधान की दिशा में भी कार्य योजना बनाये जाने तथा इस संबंध में सभी संस्थानों द्वारा दी गई रिपोर्ट्स पर की जाने वाली कार्रवाई एक छत के नीचे हो ताकि अध्ययन रिपोर्ट्स का त्वरित लाभ प्राप्त हो.