देहरादून, रवि कैंतुरा. यूं तो देहरादून को शिक्षा का हब माना जाता है लेकिन समय-समय पर ख़ासतौर से बोर्डिंग स्कूलों में होने वाली छात्रों के साथ कई शर्मनाक हरकतों ने इसपर भी सवाल खड़े कर दिये हैं. मामला लॉकडाउन के दौरान का है. देहरादून के शालिनी ब्रेवलि हिल स्कूल में 9 साल का छात्र लॉकडाउन की वजह से अपने घर नहीं जा सका. ऐसे में जब पैरेंट्स बच्चे को लेने आये तो उसके बाद बच्चे ने पूरी बात अपने अभिभावकों को बताई, जिसके बाद इस शर्मनाक हरकत को लेकर बच्चे की मां ने डीएम, एसएसपी को ट्वीट कर मामले के जानकारी दी. वहीं शनिवार को पैरेंट्स नोएडा से मामले के चलते देहरादून के रायपुर थाने में पहुंचे और पुलिस को पूरा घटनाक्रम बताया. माता-पिता की लिखित शिकायत और मामले को प्रथम दृष्टया सही पाते हुए पुलिस ने देर शाम स्कूल के वॉर्डन की गिरफ्तारी कर ली है.


पहले भी की गई बच्चे से छेड़खानी


महिला ने यह भी आरोप लगाया है कि इससे पहले एक बच्चे ने उनके बेटे के साथ छेड़छाड़ की थी. इसकी शिकायत जब स्कूल के डॉयरेक्टर से की गई तो उन्होंने छेड़छाड़ करने वाले बच्चे को निकाल दिया था.


सीओ रायपुर पल्लवी त्यागी ने बताया कि बच्चा बोर्डिंग के हॉस्टल में अकेला रह रहा था. उसकी मां ने हॉस्टल के वॉर्डन पर कई आरोप लगाए हैं. बच्चे और वॉर्डन से अकेले में पूछताछ की जा चुकी है, जिसके आधार पर वार्डन हरीश कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया है.


देहरादून के बोर्डिंग स्कूल पहले भी कई बार रहे हैं सुर्खियों में


ये पहला मामला नहीं है, जब यहां किसी स्कूल पर इस तरह से संगीन आरोप लगे हों. इससे पहले भी कई बार ऐसे मामले सामने आते रहे हैं. बताते चलें कि देहरादून के जीआरडी स्कूल के एक मामले ने पूरी देवभूमि को शर्मसार कर दिया था. इसमें छात्रा का गर्भपात कराया गया था और मामले को छुपाने की पूरी कोशिश की गई थी. बाद में छात्रा को न्याय मिला और स्कूल निदेशक सहित 8 लोगों की पोक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तारी हुई थी. इसी तरह देहरादून का पेस्टलवीड स्कूल में भी मामला सामने आया था. दून इम्पीरियल रेजिडेंसी स्कूल में तो बच्चे के साथ दुष्कर्म हुआ और स्कूल प्रबंधन ने मामले को छुपाने के साथ ही आरोपी को भगाने तक में भी मदद की थी, वहीं कई ऐसे नामी-गिरामी स्कूलों में छात्रों की आत्महत्या के मामले भी सामने आते रहे हैं. इन मामलों में हमेशा माता-पिता की फजीहत हुई है और कई बार न्याय मिला भी तो बहुत देरी में.


इस बात को लेकर कोई दोराय नहीं कि शिक्षा के हब देहरादून को बदनाम करने में ऐसे ही लापरवाह स्कूलों को हाथ है. ऐसे मामलों से देहरादून की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किये हैं. ऐसे में सवाल शिक्षा प्रशासन पर उठता है कि कई बार इस तरह के मामले सामने आने के बाद भी बच्चों की सुरक्षा के लिए किये जाने वाले प्रयासों को लेकर गंभीरता क्यों नहीं दिखाई देती.


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