जहां एक ओर उत्तराखंड बीजेपी चार साल के अंदर तीसरा सीएम ले आयी है, वहीं प्रदेश कांग्रेस में भी एकमत की गुंजाइश कहीं नहीं दिखायी दे रही है जिसका ज्वलंत उदाहरण नेता प्रतिपक्ष का नाम अभी तक तय नहीं होना है. दिल्ली से देहरादून तक पार्टी के नेता आपस में एकमत नजर नहीं आ रहे हैं. प्रदेश के वरिष्ठ नेतागण राहुल गांधी और राष्ट्रीय महासचिव संगठन के सी वेणुगोपाल से भी मिल चुके हैं लेकिन अभी तक कोई रिजल्ट नहीं निकल सका है. कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष पद और नेता प्रतिपक्ष के नाम को लेकर संशय बरकरार है. पार्टी हाईकमान के साथ दूसरे दिन भी चली बैठकों के दौर के बाद भी नतीजा नहीं निकल पाया. पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस सप्ताह के अंत तक यह मसला सुलझने की उम्मीद है. माना जा रहा है कि जल्द ही नेता प्रतिपक्ष के नाम का पटाक्षेप हो जायेगा.


प्रदीप टम्टा, किशोर उपाध्याय, काजी निजामुद्दीन, प्रकाश जोशी, गणेश गोदियाल आदि नेताओं ने अपनी मंशा राहुल गांधी को बता दी है जिस पर राहुल जल्द ही निर्णय लेंगे. मुख्यमंत्री के चेहरे के बारे में पूछे जाने पर देवेंद्र यादव पहले ही यह कह चुके हैं कि मुख्यमंत्री के चेहरे का फैसला उचित समय पर होगा. हम भाजपा की तरह उत्तराखंड को मुख्यमंत्रियों को बदलने की प्रयोगशाला नहीं बनाना चाहते. प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी की अंतरकलह से पार्टी को नुकसान होने की आशंका को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह समय पार्टी के लिए चुनाव की रणनीति बनाने का है न कि आपसी कलह का.


नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदेश के निधन के बाद से प्रदेश में नेता विपक्ष का नाम अभी तक पार्टी तय नहीं कर सकी है. जिसका मैसेज प्रदेश की जनता के सामने ठीक नहीं जाता है और इसका असर जल्द होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों पर भी पड़ने की आशंका है. उत्तराखंड में अगले साल फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है.


नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष को लेकर जातीय समीकरण और क्षेत्रीय संतुलन का भी ध्यान रखा जायेगा. किशोर उपाध्याय, गणेश गोदियाल, नवप्रभात, भुवन कापड़ी का नाम उन नेताओं में शामिल है, जिन्हें प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नये अध्यक्ष का दावेदार माना जा रहा है. उत्तराखंड कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को पार्टी की चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाए जाने पर विचार चल रहा है यानि कि उन्हीं के नेतृत्व में पार्टी विधानसभा का चुनाव लड़ सकती है लेकिन उनके समर्थक चाहते हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री चेहरे के तौर पर चुनाव मैदान में उतारा जाये. उनकी मांग है कि चुनाव होने से पहले यह साफ होना चाहिए कि हरीश रावत ही कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे.