हल्द्वानी: पहाड़ों में मौसम भले सर्द हो लेकिन सियासत गरमाती जा रही है. 2022 के विधानसभा चुनावों को लेकर शनिवार को कांग्रेस के पूर्व और वर्तमान विधायक, राज्य सभा सांसद हल्द्वानी में एकजुट हुए. पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस महासचिव हरीश रावत के चेहरे पर चुनाव लड़ने की घोषणा की.


हरीश रावत के कामों को लेकर जनता के बीच जाएंगे


2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस किसे अपना चेहरा बनाएगी, इसे लेकर हल्द्वानी में कांग्रेस के बैठक हुई. इस बैठक में राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा, जागेश्वर से विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल, अल्मोड़ा से पूर्व विधायक मनोज तिवारी, धारचूला विधायक हरीश धामी, ललित फर्सवाण, विधायक हिमेश खर्कवाल मीडिया से मुखातिब हुए. सभी कांग्रेस नेताओं ने एक स्वर में कहा कि हरीश रावत सरकार के विकास कार्यों को जनता के सामने रखा जाएगा, हल्द्वानी में हरीश रावत से जुड़ी पहली सीरीज भी लॉन्च की गई. मिशन 2022 से पहले हरीश रावत से जुड़ी अन्य 12 सीरीज और जनता के सामने लायी जाएंगी.


बागियों पर भड़के


बागियों के मुद्दे पर भी कांग्रेस के नेता एक जुट नज़र आये. राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा, जागेश्वर से विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा कि जिन लोगों ने लोकतंत्र की हत्या करने का काम किया है, उनको किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इसके अलावा हरीश रावत 2022 में प्रदेश की जिन 70 विधानसभा सीटों पर से चुनाव लड़ना चाहेंगे, उनका स्वागत होगा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के अंदर कहीं भी किसी प्रकार की कोई गुटबाजी नहीं है, और जो लोग हरीश रावत पर टीका टिप्पणी कर रहे हैं, वह केवल बरसाती मेंढक हैं.


वीडियो सीरीज के सहारे कांग्रेस


जिस वीडियो सीरीज के सहारे कांग्रेस जनता के बीच जाना चाह रही है, उसका मक़सद हरीश रावत का कार्यकाल और बीजेपी सरकार के कार्यकाल के बीच के अंतर को दिखाना है. उनके मुताबिक बीजेपी की नकारात्मकता को प्रदेश की जनता के बीच लायेंगे और 2022 में अपनी सरकार बनाएंगे.


बहरहाल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद से लेकर पूर्व विधायक और वर्तमान विधायक 2022 में विधानसभा चुनाव हरीश रावत के दम पर लड़ने का जोश भर रहे हो, लेकिन नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के किसी भी पदाधिकारी का शामिल ना होना यही प्रदर्शित कर रहा है कि कांग्रेस के अंदर अभी भी गुटबाजी है और इस बैठक को हरीश रावत समर्थित गुट कहा जाएगा, क्योंकि नेता प्रतिपक्ष से लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कोई भी सदस्य इस मीटिंग में नजर नहीं आया. लिहाजा ऐसे हालातों में 2022 का मिशन कांग्रेस के लिए कैसे आसान होगा यह देखना बाकी है.


ये भी पढ़ें.


किसान आंदोलन पर बसपा सुप्रीमो मायावती की नसीहत, कहा- 'कृषि कानून पर दोबारा विचार हो'