देहरादून, एबीपी गंगा। सूबे के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के दिल में ना जाने ऐसा कौन सा दर्द है जो उनके हाव-भाव और उनकी बातों से बाहर निकल रहा है। दरअसल शिक्षा मंत्री ने राज्य के उन सभी शिक्षकों से माफी मांगी है जिनसे वो ट्रासंफर एक्ट के तहत न्याय नहीं कर पाये हैं। शिक्षा मंत्री का कहना है कि जब तक वो शिक्षा मंत्री हैं सूबे की शिक्षा व्यवस्था के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। शिक्षा मंत्री के इस बायान का साफ मतलब है कि उन्होंने ट्रांसफर एक्ट पर सवाल खड़ा किया है।


इन दिनों शिक्षा मंत्री एक अजीब की कशमकश में नजर आ रहे हैं। आज मीडिया से हुई बातचीत के दौरान उन्होंने बड़े दर्द के साथ उस शिक्षकों से माफी मांगी जिनके साथ वो फीस एक्ट लागू होने के बाद भी न्याय नहीं कर पाये हैं। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने कहा कि 15-20 सालों से सुदूर दर्गम में अपनी सेवाएं देते आ रहे शिक्षकों ने जो उम्मीद ट्रांसफर एक्ट से लगाई थी उसके बाद भी मैं उन्हें न्याय नहीं दे पाया हूं उसके लिए मुझे हृदय से दुख है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे का कहना है कि वो तमाम शिक्षक जो जवानी पर पहाड़ में अपनी सेवाएं देने गये थे लेकिन बुढापा आने के बाद भी उनकी किसी ने सुनी नहीं उस सभी से हृदय से माफी मांगना चाहता हूं।

फीस एक्ट : सचिव शिक्षा से मंत्री पांडे नाराज, सीएम से करेंगे शिकायत

शिक्षा मंत्री एनसीईआरटी और फीस एक्ट सही तमाम विषयों पर शासन स्तर के अधिकारियों से नाराजगी जताई है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने कहा कि शिक्षा में माफिया गर्दी करने वाले लोगों के खिलाफ काम किया है और अब ये सब एक होकर उनके खिलाफ काम कर रहें है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि वो एक गरीब पिता के बेटे हैं और पार्टी ने उन्हें एक बड़ी जिम्मेदारी दी है और वो इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे। शिक्षा मंत्री की ये बात सीधे सीधे किस ओर इशारा कर रही है कहा नहीं जा सकता है।

शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे अपने ही विभाग में हो रही तमाम तरह की गतिविधियों से नाराज हैं, अधिकारी उन की सुन नहीं रहे हैं या फिर ये बयान किसी और राजनीतीक हलचल की ओर इशारा कर रहे हैं इस तरह के तमाम कयास आज दिये शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के बायान के बाद लगाये जा रहे हैं। शिक्षा मंत्री ने कहा कि वो प्रदेश में फीस एक्ट लागू करने को लेकर किसी भी हद तक जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में किताबों को लेकर माफियागर्दी फैली थी जिस पर उन्होंने फीस एक्ट के जरिए लगाम लगाने की कोशिश की थी लेकिन सचिव शिक्षा ने इस संबध में तत्परता नहीं दिखाई है जिसकी शिकायत वो मुख्यमंत्री से करेंगे।