देहरादून। उत्तराखंड में चुनाव तो बीत गया लेकिन "चक्कलस" अभी भी बरक़रार है। प्रदेश की पांच लोकसभा सीटों पर प्रथम चरण में मतदान हो चुका है लेकिन नए विकास कार्यों और रूटीन वर्क पर लगा आचार संहिता का ब्रेक अभी भी नहीं हटा है। मतदान हुए 12 दिन बीत गए लेकिन माहौल अभी भी ऐसा ही है जैसे मतदान होना बाकी हो। आचार संहिता 27 मई तक जारी रहेगी और उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जहाँ की सभी लोकसभा सीटों पर मतदान संपन्न हो चुका है, लेकिन फिर भी ना तो नए काम शुरू किये जा सकते और ना ही रूटीन के महत्वपूर्ण काम आगे बढ़ाये जा सकते हैं। हालाँकि सरकार ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर विकास कार्यों के लिए शिथिलता बरतने की मांग की है लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिलने से सिस्टम के पहिये जैसे थमे हुए है और अधिकारी इतने इत्मीनान के साथ है जैसे कोई काम ही ना रह गया हो।


क्या है आचार संहिता के प्रतिबन्ध
जिलों में नए काम शुरू करने के लिए आचार संहिता लागू रहने तक शासन जिलाधिकारियों को ना तो कोई दिशा निर्देश दे सकता है और ना ही उन्हें किसी भी तरह की बैठक में बुला सकता है। क्योंकि जिला मजिस्ट्रेट जिला निर्वाचन अधिकारी के साथ ही रिटर्निंग ऑफिसर भी होता है, इस समय पुलिस समेत किसी भी विभाग के तमाम वो अधिकारी और कर्मचारी जो चुनाव से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े, सभी जिला मजिस्ट्रेट के अधीन हैं और जिला मजिस्ट्रेट इस समय चुनाव आयोग की प्रतिनियुक्ति पर है। इसलिए आचार संहिता जारी रहने तक सरकार किसी भी जिला मजिस्ट्रेट को दिशा निर्देश जारी नहीं कर सकती है, और ज़िले में कोई भी काम बगैर जिला मजिस्ट्रेट के होना संभव नहीं है।



ये पड़ेगा फ़र्क
चुनाव के बाद इस समय राज्य में सबसे महत्वपूर्ण कार्य चारधाम यात्रा के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं करना और तीर्थ यात्रियों के लिए जरुरी सुविधाएं मुहैय्या कराना है, लेकिन ये सभी काम बगैर जिला प्रशासन के संभव नहीं हैं। गढ़वाल के छह जिलों में चारधाम यात्रा संचालित होती है, इसकी तैयारी के लिए अभी तक जिलाधिकारियों की एक भी बैठक नहीं हो सकी है। हरिद्वार से शुरू होने वाली यात्रा देहरादून, टिहरी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी और चमोली जिलों के विभिन्न हिस्सों से गुजरती है, इधर बर्फ़बारी होने से और ज्यादा दिक़्क़त हो रही है और उधर यात्रियों के लिए जरुरी सुविधा स्थापित करने के लिए आचार संहिता के ख़त्म होनेका इंतज़ार इसलिए नहीं किया जा सकता क्योंकि आगामी सात मई से यात्रा शुरू हो रही है और आचार संहिता 27 मई तक लागू है। इसका सबसे ज़्यादा प्रभाव चारधाम यात्रा की तैयारियों पर पड़ रहा है।


इन्वेस्टर्स समिट के सारे प्रस्ताव अधर में
राज्य सरकार ने वर्ष 2018 के अक्टूबर माह के शुरुआती सप्ताह में ही प्रदेश के विकास को पंख लगाने के लिए एक इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया था। उस समय सवा लाख करोड़ से भी ज़्यादा के निवेश पर निवेशकों और सरकार के बीच एमओयू साइन हुए थे, लेकिन इससे पहले प्रस्ताव धरातल पर उतरते तो अचार संहिता लागू हो गयी। हालाँकि मुख्यमंत्री लगातार इस बात का दवा कर रहे है कि ग्यारह हज़ार करोड़ के निवेश पर काम भी शुरू हो स चुका है। लेकिन इस इन्वेस्टर्स समिट से सम्बंधित जमीन उपलब्ध कराने के प्रस्ताव शासन में आचार संहिता के चलते लंबित पड़े हैं।


रुके हैं सड़क निर्माण के हजारों करोड़ के टेंडर
उत्तराखंड में मई माह में बरसात शुरू हो जाती है, ऐसे में जो सड़के टूटी हैं उन्हें दोबारा बनाने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू नहीं हो प् रही है। आचार संहिता से पहले जो टेंडर जारी हुए थे चुनाव के चलते उन पर कोई काम शुरू नहीं हो सका हैं। चूँकि अगले महीने बरसात शुरू हो जाएगी तो काम का बाधित होना लाजिमी है। क्योंकि मानसून के मद्देनज़र अमूमन इस समय एक सड़क निर्माण का काम पूरा कर लिया जाता था। अब हजारों करोड़ के सड़क निर्माण के काम अचार संहिता के प्रतिबंधों के अधीन हैं। यदि चुनाव आयोग ने अनुमति दे दी तो ठीक वरना इस बार कार्य में मानसून व्यवधान पैदा करेगा।