वाराणसी: काशी का अंदाज पूरी दुनिया में निराला है. वैलेंटाइन डे को लेकर एक तरफ यहां के बाजारों में रौनक नजर आ रही है तो वहीं आशिक माशूक की मजार में लोगों की भीड़ देखने को मिल रही है. प्रेम के प्रतीक पर्व को मनाने का दिन हो तो भला प्रेम के दीवाने इसे खास अंदाज में क्यों न मनाएं. प्रेम के इसी प्रतीक के रूप में वाराणसी की आशिक माशूक की मजार मशहूर है. प्रेमी जोड़े यहां मन्नत मांगते हैं और अपनी मुराद पूरी होने पर दोबारा यहां आकर हाजिरी लगाते हैं.
यूसुफ और मरियम की प्रेम कहानी
अब इस स्थान के इतिहास को भी जान लीजिए. बात लगभग चार सौ वर्ष पूर्व की है. ईरान का एक सौदागर काशी आता है और अपने बेटे के साथ व्यापार शुरू करता है. इसी बीच उसके बेटे यूसुफ का यहां की रहने वाली मरियम से प्रेम संबंध हो जाता है. लोकलाज के भय से मरियम के परिवार वाले उसे गंगा उस पार रामनगर रिश्तेदार के यहां भेज देते हैं और उसके बाद यूसुफ मरियम की सहेली के साथ उससे मिलने जाता है.
आशिक लगाते हैं हाजिरी
मरियम की सहेली मजाक करती है जिसके बाद यूसुफ गंगा में छलांग लगा देता है. बाद में मरियम भी वहीं छलांग लगाती है. कुंछ दिनों बाद दोनों दिखते हैं और हाथ में एक पत्र भी मिलता है कि इन्हें इसी जगह दफनाया जाए. तबसे लेकर आज तक ये मजार प्रेम के दीवानों के लिए केंद्र के तौर पर जानी जाती है. बड़ी मजार आशिक की है तो छोटी मजार माशूक की. दिल में अरमान लिए आशिक यहां हाजिरी लगाते हैं. फूल चढ़ाते हैं और मन में यकीन लेकर जाते हैं कि मन्नत जरूर पूरी होगी. इन सब बातों का जिक्र काशी की प्रसिद्ध पुस्तक आसार-ए-बनारस में भी है.
बाजार उपहारों से भरे पड़े हैं
ये तो रही दिल की बात. अब जरा बाजारों की रौनक के बारे में भी जान लीजिए. प्रेमी जोड़ों को लुभाने के लिए बाजार उपहारों से भरे पड़े हैं. चाहे वो गिफ्ट गैलरी हो या आम दुकान. हर ओर उपहारों की बड़ी खेप उतारी गई है. बाजार में विशेष प्रकार के चॉकलेट, टेडी बियर, दिल के आकार के उपहार मौजूद हैं. इसके अलावा फूल भी मौजूद हैं जो हर किसी को लुभा रहे हैं. धार्मिक नगरी में प्रेम पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. लोग इबादत को माध्यम बनाकर अपने प्रेम की सलामती की दुआ कर रहे हैं.
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