UP News: धर्म नगरी काशी (Kashi) में कार्तिक पूर्णिमा के दिन भव्य तरीके के देव दीपावली (Dev Deepawali) मनाई जाएगी. इस बार देव दीपावली पर बनारस के घाटों पर 10 लाख दीये जलेंगे, जबकि श्री काशी विश्वनाथ मंदिर को 80 लाख रुपये के फूल से सजाया जाएगा. काशी में होने वाली देव दीपावली की छटा देखने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है.


काशी के गंगा घाट को सज धजकर तैयार हैं. अब इंतजार कार्तिक पूर्णिमा की शाम का किया जा रहा है जब सूर्य के ढलते ही बनारस के सभी घाट दीये की रोशनी से जगमग हो उठेंगे. देव दीपावली को इस बार भव्य रूप दिया गया है. बनारस के सभी चौरासी घाटों पर 10 लाख दीये जलाये जाएगे जो कि रिकार्ड के रूप में दर्ज होगा. बाबा विश्वनाथ के दरबार को भी खास तरीके से सजाया जाएगा. इस ख़ास पल का दीदार करने के लिए देश-विदेश से लाखों की संख्या में लोगों के पहुंचने की उम्मीद है.


51 कन्याएं करेंगी गंगा आरती


दशाश्वमेघ घाट पर गंगा आरती कराने वाली संस्था गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र के अनुसार इस बार देव दीपावली पर मां गंगा की महाआरती में नारी शक्ति की एक अदभुत झलकी देखने को मिलेगी. 51 देव कन्याओं द्वारा माँ गंगा की आरती की जाएगी. घाट पर इंडियागेट की अनुकृति बनाई गई है, जिसमें वायु सेना,थल सेना,जल सेना और एनडीआरएफ के जवान  अमर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देंगे. काशी में देव दीपावली की साल साल 1985 में  पंचगंगा घाट से हुई थी.  पहली बार क्रिकेट खेलने वाले पांच युवकों ने घाट पर दीये जलाकर देव दीपावली की शुरुआत की थी. धर्मचार्यों के मुताबिक देव दीपवाली के दिन स्वर्ग से देव गण काशी आते हैं और गंगा में स्नान करने के बाद दीपावली मानते हैं. कोरोना के बाद मंदी की मार झेल रहे पर्यटन उद्योग के लिए भी देव दीपावली किसी संजीवानी से कम नहीं है. इस खास मौके के लिए नाव, बजड़ो और क्रूज की बुकिंग लाखों रूपये में हुई है. यही नहीं बनारस के सभी होटल और गेस्ट हाउस फुल हो चुके हैं.


देव दीपावली पर वाराणसी के 84 घाटों पर लाखों दिए जलते हैं इस बार 10 लाख से अधिक दिए जलाने की योजना बनाई गई है. जो कि एक रिकॉर्ड के रूप में दर्ज होगा. जिसको लेकर दीया बनाने वाले कुम्हार को बड़ी संख्या में मिट्टी के दिये बनाने का आर्डर मिला हुआ है. जिसको लेकर दिन रात मिट्टी का दिया बनाने का काम चल रहा है. जिसके बाद उनके चेहरे पर खुशी देखने को मिल रही है. भगवान शिव ने असुर त्रिपुरासुर का वध किया था. तब से देवताओं ने भगवान शिव के स्वागत के लिए दीप जलाया था. तब से देव दीपावली देव दीपावली मनाई जा रही है. काशी में विशेष रुप से देव दीपावली का आयोजन किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि उस दिन स्वयं पृथ्वी पर स्वर्ग लोक से देवता काशी पधारते है.


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