वाराणसी, नितीश कुमार पाण्डेय। कोरोना काल हर कोई हर हाल में अपने घर या गांव पहुंचना चाहता है. देश के कई हिस्सों से इस तरह की तस्वीरें सामने आ रही हैं जो पत्थर का भी दिल पिघला दें. उम्र महज 11 साल और लगन ऐसी मानो हार मानना सीखा ही नहीं. लॉकडाउन ने अच्छे अच्छों के पसीने छुड़ा दिए लेकिन 11 साल के बच्चे का वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है.


दरअसल, ये 11 साल का बच्चा अपने माता-पिता के साथ घर पहुंचने के लिए साइकिल ट्रॉली पर सवार हो गया है. ट्रॉली पर माता-पिता को बिठाकर उसे खींचता हुआ ये छोटा बच्चा अपनी मंजिल की तरफ चल पड़ा, न गर्मी में धूप की फ्रिक्र और न भूख का एहसास. बस दिल में यही बात है कि माता-पिता को हर हाल में घर तक पहुंचाना है.



माता-पिता ट्रॉली में बैठे हैं और बच्चा उसे खींच रहा है. एक राहगीर ने तस्वीरें ली और वीडियो बनाया जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. सोशल मीडिया में कई लोग इस बच्चे को कलयुग का श्रवण कुमार तक कह रहे हैं. जो बच्चा ट्रॉली खींच रहा है वो वाराणसी का रहने वाला है और इसका नाम तवारे आलम बताया जा रहा है. ये बच्चा अपने माता-पिता को ट्रॉली पर बिठाकर उसे खींचते हुए वाराणसी से बिहार के अररिया जा रहा है. बच्चे की इस हिम्मत को जिसने देखा वही हैरान रह गया.



हाल ही में वाराणसी से एक और तस्वीर सामने आई थी, जिसमें पटना से वाराणसी के रास्ते नेपाल की ओर जाने वाला एक बेटा मां को फल की टोकरी में बिठाकर नेपाल की ओर निकला था. पटना की एक निजी कंपनी में काम करने वाले शेर सिंह की पत्नी और बच्चे नेपाल में हैं, लेकिन मां उसके साथ थी. मां ने लॉकडाउन में घर जाने की इच्छा जताई, फिर क्या जैसा नाम वैसा इरादा, चल दिये अपनी मां की घर पहुंचने. शेर सिंह ने मां को अपनी साइकिल 'धन्नो' के पीछे कैरियर पर बंधी फल की टोकरी में बिठाया और निकल पड़े सैकड़ों मील के सफर पर.



शेर सिंह ने बताया कि नेपाल सीमा सील होने के कारण वो बनारस, प्रतापगढ़, गोंडा बहराइच होते हुए नेपाल जाना चाहता है. तेज धूप में मां को पीछे बिठकर मीलों साइकिल चलाने में थकान तो होती है लेकिन बीच-बीच में रुक-रुक कर पानी पीते और मां की सेवा करते आगे बढ़ते है. शेर सिंह की मानें तो मां के आशीर्वाद से जल्द ही नेपाल पहुंच जाएंगे. काशी से होकर गुजरने वाले शेर सिंह पर जब लोगों की नजर पड़ी तो शेर सिंह थोड़ा घबराया लेकिन काशी के लोगों ने जब उसे श्रवण कुमार कहकर बुलाया तो वो भावुक हो गए...और सफर जारी रहा.